Book Title: Agam 41 Mool 02 Pind Niryukti Sutra Author(s): Dulahrajmuni Publisher: Jain Vishva BharatiPage 17
________________ पिण्डनियुक्ति : एक पर्यवेक्षण १४२ or शंकित दोष प्रक्षित दोष • सचित्त पृथ्वीकाय म्रक्षित। • अप्काय म्रक्षित। • वनस्पतिकाय म्रक्षित। • अचित्त म्रक्षित। निक्षिप्त दोष पिहित दोष संहत दोष दायक दोष उन्मिश्रदोष अपरिणत दोष • द्रव्य विषयक अपरिणत । • भाव विषयक अपरिणत । लिप्त दोष छर्दित दोष परिभोगैषणा : आहार-मंडली परिभोग की विधि परिभोगैषणा या मांडलिक दोष • संयोजना दोष। •प्रमाणातिरेक दोष। ★ प्रकाम आहार। *निकाम आहार। ★ प्रणीत आहार। * अतिबहुक आहार। * अतिबहुशः आहार। • स-अंगार दोष • स-धूम दोष। • कारण दोष। • आहार न करने के हेतु परिभोगैषणा के अन्य दोष भिक्षाचर्या के नियमों में परिवर्तन भिक्षा के समय शारीरिक और मानसिक स्थिति भिक्षाचर्या के दोष सम्बन्धी प्रायश्चित्त १०४ भिक्षाचर्या के अन्य दोष १३७ १०४ • शय्यातरपिण्ड। १३७ १०५ • राजपिण्ड। १३९ १०५ • नित्याग्रपिण्ड। १३९ १०५ • पुरःकर्म और पश्चात्कर्म। १४० १०६ • किमिच्छक। १४० १०६ • दुर्भिक्षभक्त। १४१ १०९ • बालिकाभक्त। १४१ १११ • कान्तारभक्त। १४१ ११२ • प्राघूर्णकभक्त। १४१ ११४ • अग्रपिण्ड। १४१ ११५ • ग्लानभक्त। ११५ • निवेदनापिंड। १४२ ११५ • मृतकभोज। १४२ ११५ •निकाचित आहार। १४२ ११६ • रचित आहार। १४२ ११७ • संखडिभोज। १४३ ११९ • रात्रि-भोजन विरमण। १४३ ११९ • गृहान्तरनिषद्या। १४५ १२१ • सन्निधि और संचय। १४५ १२२ सांस्कृतिक सामग्री १४६ १२३ • देवी-देवता। १४६ १२४ • संन्यस्त परम्परा एवं साम्प्रदायिकता। १४७ १२४ • विद्या और मंत्र का प्रयोग। १४७ १२४ अर्थ-व्यवस्था। १४८ १२४ • चिकित्सा। १४९ १२४ • धान्य एवं खाद्य। १२४ • वैवाहिक सम्बन्ध। १५० १२४ • सामाजिक परम्पराएं एवं मान्यताएं। १५१ १२५ • यातायात। १५२ • अपराध एवं दंड । १२६ पाठ-सम्पादन की प्रक्रिया हस्तप्रति परिचय १५६ १२७ पिण्डनियुक्ति के सम्पादन का इतिहास १५७ १२८ कृतज्ञता-ज्ञापन १५८ १४९ १२५ १५३ १५३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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