Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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छठा शतक : उद्देशक-३
[२०-१ प्र.] भगवन् ! क्या ज्ञानावरणीयकर्म को भाषक जीव बांधता है या अभाषाक जीव बांधता है? ___ [२०-१ उ.] गौतम ! ज्ञानावरणीयकर्म को दोनों—भाषक और अभाषक-भजना से (कदाचित् बांधते हैं, कदाचित् नहीं) बांधते हैं।
[२] एवं वेदणिजवजाओ सत्त। [२०-२] इसी प्रकार वेदनीय को छोड़ कर शेष सात कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए। [३] वेदणिजं भासए बंधइ, अभासए भयणाए।
[२०-३ वेदनीयकर्म को भाषक जीव बांधता है, अभाषक जीव भजना से (कदाचित् बांधता है, कदाचित् नहीं) बांधता है।
२१.[१] णाणावरणिजं किं परित्ते बंधइ, अपरित्ते बंधइ, नोपरित्ते-नोअपरित्ते बंधइ ? गोयमा ! परित्ते भयणाए, अपरित्ते बंधइ, नोपरित्ते-नोअपरित्ते न बंधइ।
[२१-१ प्र.] भगवन् ! क्या परित्त जीव ज्ञानावरणीयकर्म को बांधता है, अपरित्त जीव बांधता है, अथवा नोपरित्त-नोअपरित्त जीव बांधता है ?
[२१-१ उ.] गौतम ! परित्त जीव ज्ञानावरणीय कर्म को भजना से (कदाचित् बांधता है, कदाचित् नहीं) बांधता, अपरित्त जीव बांधता है और नोपरित्त-नोअपरित्त जीव नहीं बांधता।
[२] एवं आउगवजाओ सत्त कम्मपगडीओ। [२१-२] इस प्रकार आयुष्यकर्म को छोड़ कर शेष सात कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिये। [३] आउए परित्तो वि, अपरित्तो वि भयणाए। नोपरित्तो-नोअपरित्तो न बंधइ।
[२१-३] आयुष्यकर्म को परित्त जीव भी और अपरित्त जीव भी भजना से (कदाचित् बांधते हैं, कदाचित् नहीं) बांधते हैं; नोपरित्त-नोअपरित्त जीव नहीं बांधते। ... २२. [१] णाणावरणिजं कम्मं किं आभिणिबोहियनाणी बंधइ, सुयनाणी०. ओहिनाणी०, मणपज्जवनाणी० केवलनाणी बं०?
गोयमा ! हेट्ठिल्ला चत्तारि भयणाए, केवलनाणी न बंधइ।
[२२-१ प्र.] भगवन् ! ज्ञानावरणीयकर्म क्या आभिनिबोधिक (मति) ज्ञानी बांधता है, श्रुतज्ञानी बांधता है, अवधिज्ञानी बांधता है, मनःपर्यवज्ञानी बांधता है अथवा केवलज्ञानी बांधता है ?
[२२-१ उ.] गौतम ! ज्ञानावरणीयकर्म को निचले चार (आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी, अवधिज्ञानी और मन:पर्यावज्ञानी) भजना से (कदाचित् बांधते हैं, कदाचित् नहीं ) बांधते हैं; केवलज्ञानी नहीं बांधता।
[२] एवं वेदणिजवजाओ सत्त वि। [२२-२] इसी प्रकार वेदनीय को छोड़कर शेष सातों कर्मप्रकृतियों के विषय में समझ लेना चाहिए।