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________________ २९ छठा शतक : उद्देशक-३ [२०-१ प्र.] भगवन् ! क्या ज्ञानावरणीयकर्म को भाषक जीव बांधता है या अभाषाक जीव बांधता है? ___ [२०-१ उ.] गौतम ! ज्ञानावरणीयकर्म को दोनों—भाषक और अभाषक-भजना से (कदाचित् बांधते हैं, कदाचित् नहीं) बांधते हैं। [२] एवं वेदणिजवजाओ सत्त। [२०-२] इसी प्रकार वेदनीय को छोड़ कर शेष सात कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए। [३] वेदणिजं भासए बंधइ, अभासए भयणाए। [२०-३ वेदनीयकर्म को भाषक जीव बांधता है, अभाषक जीव भजना से (कदाचित् बांधता है, कदाचित् नहीं) बांधता है। २१.[१] णाणावरणिजं किं परित्ते बंधइ, अपरित्ते बंधइ, नोपरित्ते-नोअपरित्ते बंधइ ? गोयमा ! परित्ते भयणाए, अपरित्ते बंधइ, नोपरित्ते-नोअपरित्ते न बंधइ। [२१-१ प्र.] भगवन् ! क्या परित्त जीव ज्ञानावरणीयकर्म को बांधता है, अपरित्त जीव बांधता है, अथवा नोपरित्त-नोअपरित्त जीव बांधता है ? [२१-१ उ.] गौतम ! परित्त जीव ज्ञानावरणीय कर्म को भजना से (कदाचित् बांधता है, कदाचित् नहीं) बांधता, अपरित्त जीव बांधता है और नोपरित्त-नोअपरित्त जीव नहीं बांधता। [२] एवं आउगवजाओ सत्त कम्मपगडीओ। [२१-२] इस प्रकार आयुष्यकर्म को छोड़ कर शेष सात कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिये। [३] आउए परित्तो वि, अपरित्तो वि भयणाए। नोपरित्तो-नोअपरित्तो न बंधइ। [२१-३] आयुष्यकर्म को परित्त जीव भी और अपरित्त जीव भी भजना से (कदाचित् बांधते हैं, कदाचित् नहीं) बांधते हैं; नोपरित्त-नोअपरित्त जीव नहीं बांधते। ... २२. [१] णाणावरणिजं कम्मं किं आभिणिबोहियनाणी बंधइ, सुयनाणी०. ओहिनाणी०, मणपज्जवनाणी० केवलनाणी बं०? गोयमा ! हेट्ठिल्ला चत्तारि भयणाए, केवलनाणी न बंधइ। [२२-१ प्र.] भगवन् ! ज्ञानावरणीयकर्म क्या आभिनिबोधिक (मति) ज्ञानी बांधता है, श्रुतज्ञानी बांधता है, अवधिज्ञानी बांधता है, मनःपर्यवज्ञानी बांधता है अथवा केवलज्ञानी बांधता है ? [२२-१ उ.] गौतम ! ज्ञानावरणीयकर्म को निचले चार (आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी, अवधिज्ञानी और मन:पर्यावज्ञानी) भजना से (कदाचित् बांधते हैं, कदाचित् नहीं ) बांधते हैं; केवलज्ञानी नहीं बांधता। [२] एवं वेदणिजवजाओ सत्त वि। [२२-२] इसी प्रकार वेदनीय को छोड़कर शेष सातों कर्मप्रकृतियों के विषय में समझ लेना चाहिए।
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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