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१० सामाइय-पारण-सुत्तं
[ सामायिक पारनेका सूत्र ]
[गाहा ] सामाइयवय-जुलो, जाव मणे होइ नियम-संजुत्तो। छिन्नइ असुहं कम्मं, सामाइय जरिया वारा ॥१॥ सामाइयम्मि उ कए, समणो इव सावओ हवइ जम्हा । एएण कारणेणं, बहुसो सामाइयं कुज्जा ॥२॥ मैंने सामायिकव्रत विधिसे लिया, विधिसे पूर्ण किया, विधिमें कोई अविधि हुई हो तो मिच्छामि दुक्कडं ।
दस मनके, दस वचनके, बारह कायाके कुल बचीस दोषोंमेंसे कोई दोष लगा हो तो मिच्छामि दुक्कडं ॥ হান্নাसामाइयवय-जुत्तो-सामायिक असहं-अशुभ । व्रतसे युक्त।
कम्म-कर्मका। जाव-जहाँतक ।
सामाइय-सामायिक । मणे-मनमें ।
जत्तिया वारा-जितनी बार । होइ-होता है, करता है। सामाइयम्मि-सामायिक । नियम-संजुत्तो-नियमसे युक्त, । उ-तो। नियम रखकर।
कए-करनेपर। छिन्नइ-काटता है, नाश करता | समणो-साधु ।
इव-जैसा।
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