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नीतिवाक्यामृत
दोनों मंत्रियों के रखने से कोई हानि नहीं इसका दृष्टान्त द्वारा समर्थन - किं महति भारे नियुज्यते ||७६||
वार्य
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अर्थ- दोनों बैल यदि अधिक बलिष्ठ हों, तो क्या वे दोनों महान बोझा ढोनेके लिए गाड़ी वर्गरह में नहीं जोते जाते ? अवश्य जोते जाते हैं। सारांश यह है कि उसीप्रकार दो मन्त्री भी यदि पूर्वोक गुणोंसे अलंकृत हों, तो वे भी राज्य-भारको वहन करने में समर्थ होसकते हैं; अतएव उक्त गुणोंसे युक्त दो मन्त्रियों के रखने में कोई हानि नहीं है ॥७६॥
बहुत से सहायकों से लाभ
बसहाये राशि प्रसीदन्ति सर्व एव मनोरथाः ||८०|l
अर्थ -- जिस राजा के बहुत से सहायक ( राज्य में सहायता देनेवाले भिन्न २ विभागोंके भिन्न २ प्रधानमन्त्री आदि) होते हैं, उसे समस्त अभिलषित पदार्थोंकी प्राप्ति होती है |
वर्ग' विद्वान ने कहा है कि 'जिसप्रकार मद-शून्य हाथी और दांतोंसे रहित सर्प सुशोभित 'व कार्य करने में समर्थ नहीं होता, उसीप्रकार राजाभी सहायकोंसे रहित होनेपर शोभायमान और राजकीय कार्य करने में समर्थ नहीं होता, इसलिये उसे बहुतसे सहायक रखने चाहिये ||१||
केवल मन्त्रीके रखने से हानि
एको हि पुरुषः केषु नाम कार्येष्वात्मानं विभजते ॥ ८१ ॥
अर्थ - अकेला आदमी अपनेको किन २ कार्यों में नियुक्तकर सकता है ? नहीं कर सकता। सारांश यह है कि राजकीय बहुत से कार्य होते हैं, उन्हें अकेला मन्त्री किसप्रकार सम्पन्न कर सकता है ? नहीं कर सकता, अतएब अलग-अलग विभागोंके लिये बहुतसे मंत्री आदि सहायक होने चाहिये ||८५१॥
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जैमिनि विद्वान ने कहा है कि 'जो राजा अपनी मूर्खता से एक मन्त्रीको ही रखता है व दूसरे सहाको नहीं रखता, इससे उसके बहुत से राजकार्य नष्ट होजाते हैं ||१|| '
उक्त बातका प्रान्त द्वारा समर्थन
किमेकशाखस्य शाखिनो महती भवतिच्छाया X ॥८२॥
* 'अवायवीय हो कि महति भारे न नियुज्येते' ऐसा मु० म० पु० में पाठ है, जो कि सं० टो० पु० के पाटसे aj (ग्यावरचा अनुकूल) है, परन्तु सारांश दोनोंका एक सा है। संपादक
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१ तथा च वर्गः – महीनो यथा नागो वंष्ट्राहीनो यथोरगः । श्रसद्दायस्तथा राजा तत् कार्या बद्दश्च से || १ || जैमिनिः-एकं यः कुरुते शआ मन्त्रियं मन्दबुनित । तस्य भूरीवि कार्याणि लीदन्ति तदाश्रयात् ||१|| संशोधित व परिवर्तित | सम्पादक
x किमेकशास्त्राशाखिनो मद्दतोऽपि भवािया? ऐसा मु० ०लि० मू० प्रतियोंमें पाठ है, परन्तु विशेष अर्थमेव नहीं है | सम्पादक