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नीसिषाक्यामुन
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पर पहुरासी जन-नाष्टिकरा प्रजाजनों का जीवन (धाम्पको सपज) होता हो । जहॉपर बहुलतासे सपे, भीत और मेच्छों का निवास हो ।, ६ जिसमें चोड़ोसी धाम्य (अन्न) उत्पन्न होती हो।, . जहां के लोग। धान्य पजाम होने के कारण पके फलों द्वारा अपना जीवन-नियोह करते हो l
जिस देशमें मेषोंके जल द्वारा भान्य सत्पन्न होती है और खेती कर्षण-क्रियाके बिना होती है, अर्यात् जाहा छदारों की पथरीली जमीन में विना इस जोसे हो वीज वखेर दिये जाते हैं, वहां सदा अकाल रावा है।योंकि मेपो बरा अन वृष्टिका यथासमग पचपिस परिमाणमें होना निश्चित नहीं रहता एवं कस कियाकी अपेक्षा शम्ब पपरोली जमीनभी उपर जमीन समान सुपज-शून्य अथवा बिलकुल कम सपना होती है, मा पेसे देशमें सदा मकान होना निश्चित ही है ॥शा
गुरु' विधानले स्वरणका मी यही अभिप्राय है ॥१॥
इत्रिय व प्रामणोंकी अधिक संस्था-युक्त ग्रामोंसे हानि व परदेश-प्राप्त स्वदेशवासी के प्रति पद
पत्रियप्रापा हि ग्रामाः स्वम्पास्वपि पापास प्रतियुध्यन्ते ॥१॥ नियमाणोऽपि द्विजलोको न सस सान्नेन सिहमागाई प्रहरी सभरि सतपूर्णमाक' का जनपदं स्वदेशाभिमुख दानमानाम्पा परदेशादाबहेत् वासयेषक ॥१३॥
पर्व-जिन ग्रामों में त्रिव यूएबोर पुरुष अधिक संख्या में निवास करते हैं वहापर वे लोग पोती सी पीड़ामो-पापसी तिरस्कार बादिसे होने वाले कटोंके होने पर आपसमें सब मरते है-मन र
या विधाने भी बत्रियों की बाहुल्यवा-युक्त प्रामोंके विषय में इसीप्रकार कहा है ॥१॥
आपण लोग अधिका-होमी दोनेके कारय राजा लिये देनेयोग्य टेक्स माविका धन प्राय बामे परमीना पहले शान्तिसे नही देते ॥१२॥
विद्वापरयच मी ही अमिताव है राजाम है कि यह परदेशमें प्राप्त हुए अपने देशवासो मनुष्यको, जिससे कि इसने पर्वमें करनक्स प्राव किया हो अथवा न भी किया हो, दान सम्मानसे परामें करे और अपने देशके प्रति
गुलामासमिन । सव का दुर्मिनारमोन का
गाई मदेवामिन पागमानाम्या जोपचाने का पासवे इस प्रकार मान्य. महिनामा निमोकि राजा प्रदेवयासी पारी मनुष्यको गे कइलो देखने सस भागापामा एक पूलो देखने मेज दे। क्योंकि ऐसा करनेसे प्रजा परदेशवासी प्रजाके उपायोंसे सुरक्षित
रा :-पाय पत्रिका मानवातिनिरगंजापानरावोऽन्वेष पुरन शाम्यति ।।।। ३ मारियो मोमोस सान्न सम्यते । म पाहमा चकते नृ॥