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(३) सम्पतिशाली देशवासियोंकी प्रचुर धन राशिका विभाजन करके उनके मलो भांति निर्वाह योग्य छोडकर, अपशिष्ट धनको उनसे प्रार्थना पूर्वक शान्तिके साथ लेकर अपने कोषकी वृद्धि करे।
(४) अचल सम्पत्तिशाली, मंत्री, पुरोहित और अधीनस्थ राजा लोगोंका भनुनय पौर विनय के उनके पर जाकर उनसे धन-याचना करे और उस धनसे अपनी कोष वृद्धि करे ॥१४॥ एक विद्वामने भी राजकीय कोष वृद्धि के विषयमें इसीप्रकार कहा है ॥१॥
इति कोश समुरेश।
२२ बल-समुद्देश बम शम्प की व्याख्या, प्रधान सैन्य, इस्तियों का माहात्म्य व उनकी युखोपयोगी प्रधान राक्तिद्रविणदानप्रियभाषणाम्यामरातिनिवारखेन यदि हित स्वामिन सर्वावस्थासु बलते संबसोतीति पलम् ॥१॥ बलेषु हस्तिनः प्रधानमंग स्वैरवयङ्करप्टायुषा हस्तिनो भवन्ति ॥२॥हस्तिप्रधागो विजयो रामा यदेकोऽपि इस्ती सहस्र योधयति न सीदति प्रहारसहस्र खापि ॥३॥ जाति कुल वन प्रचाररच वन इस्तिनां प्रधानं किन्तु शरार पलं शौर्य शिक्षा च तदुषिता च सामग्री सम्मतिः ॥ ४॥
अर्थ-जो शत्रुओं का निवारण करके मन-पान व मधुरभाषण द्वारा अपने स्वामी के सभी प्रयोजन सिद्ध करके उसका कल्याण करता है एवं उसे आपत्तियोंसे सुरक्षित रखकर शक्तिप्रदान करता है अतः इसे बम-सैन्य हाथी, घोडे, रथ, पैदल रूप चतुरङ्ग सेना) कहते हैं ॥१॥
शुक' विद्वान ने भी 'बम' शब्दकी यही ज्यास्था की है ॥१॥
चतुरज सेनामें हाथी प्रधान माने जाते हैं, क्योंकि वे अष्टायध हैं। अर्थात् वे अपने चारों पैरों, दो दाँत, पंच और सूज रूप शस्त्रोंसे युद्ध में शत्रुओं का विनाश करते हुए विजय-भी प्रास करते हैं। जबकि मम्य पैदल आदि सैनिक दूसरे खग भावि हथियारोंके धारण करनेसे मायुषवान् त्रिभारी) कहे जाते हैं।
पालकि विद्वान ने भी मष्टायुध हाथियों की प्रशंसा की है ।।१० . ..--.--.-..-... ... .. . .. . ... ...- .
देखोमीति बी .पृ०२१। .पा -मेन प्रियसभामाश्चर्य पुराजिलम् । मापनयः स्वामिन संत को बलमिति स्पतम् ॥॥ ३ क्या च पाखाकि:-पाष्टामुमो मोदन्ती रम्या पररपि । तथा च पुरवायाम्या संख्ये तेन स शस्यते ।