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नीतिवाक्यामृत
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गीताङ्गपटप्रावरणेन नृत्यवृन्याजीची नर्तको नाटकाभिनयरञ्जनको वा ||२३||
रूपाजीवावृत्युपदेष्टा गायकः ||२४||
गीतप्रबन्धगतिविशेषवादकचतुर्विधातोद्यप्रचारकुशलो वादकः ||२५||
वाग्जीवी वैतालिकः सूती बा ||२६|| गणकः संख्याविवोचा ||२७|| शाकुनिकः शकुनवक्ता ॥२८॥
भिषायुर्वेदविद्वैद्यः शस्त्रकर्मविच्च ||२६||
ऐन्द्रजालिकतन्त्रयुक्त्या मनोविस्मयकरो मायावी वा ॥ ३०॥
नैमित्तिका लक्ष्यवेधी दैवज्ञो वा ||३१||
महासाहसिकः सूदः || ३२॥
विचित्रभच्यप्रणेता आरालिकः ॥ ३३ ॥ श्रङ्गमर्दनकलाकुशलो मारवाहको वा
संवाहकः || ३४ ॥
दुव्यहेतोः कृच्छेण कर्मणा यो जीवित विक्रयी स तीक्ष्णोऽसनो वा ||३५||
बन्धुस्नेहरहिताः क्रूराः || ३६ ||अलसाश्च रसदाः | ३७ ॥
जड़ मूक-बधिरान्धाः प्रसिद्धाः ॥ ३८ ॥
अर्ध-गुरों (खुफिया पुलिस ) के निम्नप्रकार ३४ भेद हैं, उनमें कुछ अवस्थायी (जिन्हें राजा अपने ही देश में मंत्री व पुरोहित आदि की जाँच के लिये नियुक्त करता है) और कुछ यात्री (जिन्हें शत्रु - राजाके देश में भेजा जाना है) होते हैं। छात्र, कापटिक, उदास्थित, गृहपति, वैदेहिक, तापस, किरात, यमपकि, अहितुण्डिक, शौरिडक, शौभिक, पाटम्बर, विट, विदूषक, पीठमई, नर्तक, गायन, वादक, बारजोवन, गक, शाकुनिक, भिपग, ऐन्द्रजालिक, नैमित्तिक, सूद, आरालिक, संवादक, शोषण, क्रूक, रसद, जड़, मूक, बधिर, और अन्य ॥ ८ ॥
दूसरोंके गुप्त रहस्यका ज्ञाता व प्रतिभाशाली गुप्तचरको 'छात्र' कहते हैं ॥ ६ ॥ किसी भी शास्त्रको पढ़कर छात्र वेशमें रहनेवाले गुप्तचरको 'कापटिक' कहते हैं ॥ १० ॥ तभी शिष्य मण्डली सहित, तीक्ष्ण बुद्धि-युक्त (विद्वान) और जिसकी जीविका राजा द्वारा निश्चित
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