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१४ चारसमुद्देश। - गुप्तचरोंका लक्षण, गुण, वेतन व उसका फल क्रमश:--
स्वपरमण्डलकार्याकार्यावलोकने चाराः खलु चक्ष षि क्षितिपतीनाम् ॥ १॥ अलौन्यममान्दः सुराजापियामागका चारसुशाः ॥ २ ॥ तुष्टिदानमेव चाराणां वेतनम् ॥ ३॥
ते हि तल्लोभान् स्वामिकार्येषु स्वरन्ते ॥ ४ ॥ अर्थ-गुप्तचर स्वदेश-परदेशसंबंधी कार्य-अकार्यका ज्ञान करनेके लिये राजाओंके नेत्र है। भभिप्राय ा है कि राजा लोग गूढ़पुरुषों द्वारा ही अपने व दूसरे देश संबन्धी राजकीय वृत्तान्त जानते हैं, स नहीं ॥१॥ - गुरु विद्वान्ने कहा है कि राजा लोग दूरदेशवर्ती होकरके भी स्वदेश-परदेश संबंधी कार्य-अकार्य गुप्तचरों मारा जानते हैं ।। १॥ - संतोष, अस्तिस्यका न होना-उत्माह अथवा निरोगता, सत्यभाषण और विचार-शक्ति ये गुप्ता घरोंके गुण है ॥२॥ . भारि विद्वान्ने कहा है कि जिन राजाओंके गुप्तचर आलस्य-रहित-उत्साही, संतोषी, सत्यवादी जो सणाशक्ति-युक्त होते हैं, वे (गुप्तचर) अवश्य राजकीय कार्य सिद्ध करनेवाले होते हैं ॥१॥' i, कार्यसिसि होजानेपर राजाद्वारा जो संतुष्ट होकर प्रचुर धन दिया जाता है, वही गुप्तचरोंका वेतन
योकि उस धनप्राप्तिके लोमसे वे लोग अपना स्वामीकी कार्य-सिद्धि शीघ्रतासे करते हैं ।। ३-४॥ .: गौतम विज्ञानने भी कहा है कि 'जो गलचर राजासे संतुष्ट होकर दिया हुमा प्रचुर धन प्राप्त करते हैं, वे उत्कंठित होकर राजकीय कार्य शीघ्र सिद्ध करते हैं ॥१॥
मातुरः-स्वमपरके परे चैव कार्याकार्य पद्रदेव । परैः पश्यन्ति यद्भपा सदरमपि संस्थिताः ॥१॥ ही याच भागति:-प्रकाशस्यमतौल्यं च सत्यवादिस्यमेव च । जहकरवं भवेयेषां ते घराः कार्यसाधकाः ॥ 1 ॥
। गोत्रमः-स्वामिनुष्टि प्रदानं ये प्राप्नुवन्ति समुत्सुकाः। ते तत्काए सर्वाणि चराः सिदि नयन्ति
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