________________
वाकी (कच्छ) चातु
१६-७-१९९९, शुक्रवार
आषा. सु. ४
खारे समुद्र में क्या मधुर जल उपलब्ध हो सकता है ? शृंगी मत्स्य मधुर जल प्राप्त कर लेता है । इस कलिकाल में क्या उत्तम जीवन प्राप्त हो सकता है ? प्राप्त करनेवालों को अवश्य मिल सकता है। उत्तम आचार्य, मुनि, साध्वी, श्रावक, श्राविका ये सब कलियुग के कड़वे (खारे) समुद्र में उत्तम जीवनरूपी मधुर जल पीनेवाले हैं । विष भी अमृत बन जाता है, यह इसे ही कहा जाता है।
मधुर जल कैसे प्राप्त किया जा सकता है ? पू. उपा. यशोविजयजी हमें वही कला सिखाते हैं । उत्तमता का पहला चिह्न (लक्षण) है कि 'किसीकी भी निन्दा नही करना ।'
- महानिशीथ में आचार्य + राजा का वार्तालाप : आचार्य : चक्षु कुशील का नाम भी नहीं लिया जाता । राजा : क्यों ?
आचार्य : 'उसका नाम लेने से भय उत्पन्न होता है, भोजन भी प्राप्त नहीं होता ।' .
राजा : 'मुझे यह प्रयोग करना है ।'
आचार्य : 'ऐसा मत करना ।' (कहे कलापूर्णसूरि - १ *****
१
******************************३७