________________
कवि..पूकल्पतरुवि., पू. किरण वि., प. देवेन्द्रसरिणी, प. कलापूर्णविजयजी दि.२१-०१-१९६७, वांकी (कच्छ)
६-८-१९९९, शुक्रवार
श्रा. व. ९ + १०
. पन्द्रह दुर्लभ वस्तुओं में संयम-शील, क्षायिकभाव, कैवल्य एवं मोक्ष सर्वाधिक दुर्लभ है। यद्यपि पन्द्रही वस्तु उत्तरोत्तर अधिकाधिक दुर्लभ हैं ।
. संयम की भावना होगी तो, इस भव में नहीं तो भवान्तर में तो संयम उदय में आयेगा ही । संभव हो तो इस जन्म में संयम ग्रहण करें ।
. उत्तरोत्तर वस्तु नहीं प्राप्त करो अथवा प्राप्त करने की इच्छा न रखो तो पूर्व पूर्व की वस्तुएं भी चली जाती हैं ।।
- सम्यक्त्व के ६७ बोल सम्यक्त्व को स्थिर भी रखते हैं, नहीं आया हो तो लाते भी हैं । वह कार्य भी है और कारण भी है।
. लाभ की वृद्धि नहीं हो तो दुकान करने का कोई अर्थ नहीं है, उस प्रकार बल, आयुष्य आदि प्राप्त होने के बाद उनके द्वारा सम्यक्त्व की प्राप्ति न हो तो कोई अर्थ नहीं है । .. समापत्ति के तीन कारण
१. निर्मलता, २. स्थिरता और ३. तन्मयता ।
| १२६ ****************************** कहे