________________
- वि.सं. २०४६
५-११-१९९९, शुक्रवार
का. व. प्र. १३
. भगवान ने तो विश्व मात्र को मुक्ति का मार्ग बताया, परन्तु उसमें चलने को तैयार हुआ चतुर्विध संघ, साधु-साध्वी, श्रावक एवं श्राविका ।
मुक्ति मार्ग पर चलें तो भगवान हमारे मार्ग में सहायक होंगे ही । भगवान धर्म-चक्रवर्ती हैं ।
मोह-जाल में से छुड़ाकर संसारी जीवों को मोक्ष-मार्ग की ओर प्रयाण करानेवाले भगवान हैं, परन्तु भगवान उसे ही प्रयाण करा सकते हैं जिसे मोह जाल स्वरूप प्रतीत हो, संसार कारागार प्रतीत हो; परन्तु जिसे कारागार ही महल प्रतीत होता हो, बेड़ियों में कंगन लगते हों, उसके लिए भगवान कुछ भी नहीं कर सकते ।
. परिग्रह एवं ममता के भार के साथ मुक्ति-मार्ग पर प्रयाण करना असंभव है । पहाड़ पर चढते समय सामान्य बोझ भी हमें कष्टदायक होता है तो मोक्ष-मार्ग पर बोझ कैसे सहन होगा ?
. ज्ञान एक ऐसी वस्तु है, जिससे स्व का जीवन तो प्रकाशमय बनता ही है, अन्य व्यक्तियों के जीवन भी प्रकाशमय बनते ही हैं ।
****** कहे कलापूर्णसूरि - १)
५०२
****************************** कहे