________________
का पालन करते है क्योंकि गुरुकुल-वास में रहना तीर्थंकरो की ही आज्ञा है।
गुरुकुल में रहने से वैयावच्च का लाभ मिलता है । शुद्ध ज्ञान आदि की प्राप्ति होती है। आज आया, कल गया, ऐसा नहीं, परन्तु सदा टिकनेवाला ज्ञान प्राप्त होता है । 'आदि' से दर्शन आदि की भी प्राप्ति होती है ।
अध्यात्म गीता
. सम्यक्त्व दो प्रकार से प्राप्त होता है : निसर्ग से, एवं अधिगम से ।
किसी को लोटरी से धन मिलता है । (निसर्ग) किसी को पुरुषार्थ से धन मिलता है । (अधिगम)
इलाचीकुमार, भरत इत्यादि को हुआ केवलज्ञान नैसर्गिक नहीं गिना जाता । इसमें पूर्व जन्म का पुरुषार्थ कारण माना जाता है। मरुदेवी का केवलज्ञान नैसर्गिक गिना जाता है ।
. जीवन में भूल होना बड़ी बात नहीं है, पश्चात्ताप एवं प्रायश्चित्त करना बड़ी बात है । मार्ग भूलना बड़ी बात नहीं है, भूलने के बाद वहां से लौटना बड़ी बात है । अनेक व्यक्ति तो कुमार्ग से भी लौटने के लिए तैयार नहीं होते । हमारे दर्शनविजयजी महाराज 'घराणा' के पास आकर भी मार्ग भूलने से 'आधोई' के बजाय 'लाकड़िया' पहुंच गये थे ।
- सच्चा यथाप्रवृत्तिकरण वह है जो अपूर्वकरण, अनिवृत्तिकरण लाकर सम्यक्त्व देता है। अन्यथा इससे पूर्व अनेक यथाप्रवृत्तिकरण किये, परन्तु वे सब सम्यक्त्व नहीं दे सके । चरम यथाप्रवृत्तिकरण ही सम्यक्त्व देता है ।
'इन्द्रचन्द्रादि पद रोग जाण्यो, शुद्ध निज शुद्धता धन पिछाण्यो; आत्मधन अन्य आपे न चोरे, कोण जग दीन वली कोण जोरे ?' ॥ २१ ॥
इष्ट वस्तु मिलने पर सुख मिलेगा ऐसी अब तक जो भ्रमणा थी, वह आत्मा मिलने पर चली जाती है । आत्मधन प्राप्त होने
१-
१****************************** ५५१