Book Title: Kahe Kalapurnasuri Part 04 Hindi
Author(s): Muktichandravijay, Munichandravijay
Publisher: Vanki Jain Tirth

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Page 612
________________ गच्छ में एक दूसरे के सहायक बनने से मोक्ष निकट आता है । आदिनाथ भगवान के जीव ने पूर्व भव में जीवानन्द वैद्य के रूप में पांच मित्रों के साथ मुनि की कैसी सेवा की थी, जिसके प्रभाव से भरत, बाहुबली, ब्राह्मी, सुन्दरी एवं श्रेयांसकुमार आदि सभी अन्तिम भव में मोक्ष में गये । सहकार का कितना बड़ा प्रभाव है ? सारणा आदि होते रहने से गच्छ में रहनेवाले शिष्यों का शीघ्र कल्याण होता है । . आज पू. पं. भद्रंकरविजयजी का चिन्तन थोड़ा याद करें । वि. संवत् २०३३में कच्छ आते समय प्रसादी के रूप में जो नोट बुक दी थी उसे खोलता हूं । शुद्ध आज्ञायोग एवं भावधर्म क्या है ? वह देखें । धर्म के चार प्रकार हैं - दान, शील, तप एवं भाव । चार प्रकार का धर्म समग्र जगत् के लिए उपकारी है। भगवान के चार मुंह, चार प्रकार का धर्म एक साथ बताने के लिए ही मानों किये हैं । ऐसी कल्पना कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्रसूरिजी ने की है। भावधर्म तात्त्विक है। शेष तीन उसके साधक हैं । इन तीनों के बिना भाव धर्म उत्पन्न नहीं होता, यह भी न भूलें । • केशी स्वामी एवं गौतम स्वामी मिले तब परस्पर चर्चा हुई, समाधान हुआ, आज की तरह झगड़े नहीं हुए । उत्तराध्ययन में इसका एक पूरा अध्ययन है। पूज्य कनकसूरिजी 'ए दोय गणधरा' सज्झाय खास बोलते थे । सुनने में आनन्द आता था । . अन्य के प्रति औचित्य बतायें तब हम स्वयं पर ही अपना उपकार करते हैं । दूसरों को धर्म में जोड़ने में निमित्त बनने से अच्छा और क्या है ? यह 'विनियोग' कहलाता है । आप खराब करेंगे तो आपका देखकर दूसरे खराब करना सीखेंगे । मोहराजा के माल का विनियोग होगा । आपको किसका माल बेचना है ? धर्मराजा की ओर से स्वर्ग - अपवर्ग मिलेगा । मोहराजा की ओर से कमीशन के रूप में संसार-भ्रमण मिलेगा । ५६० ****************************** कहे

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