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एक बार वहां जाने के बाद निकलना कितना कठिन है ? ___इस समय हम टेकरी की ऐसी पगडंडी के उपर से चल रहै हैं कि एक ओर खाई तथा दूसरी ओर शिखर है। थोड़ा चूक गये तो खाई तैयार है, निगोद की खाई ।
शिखर की ओर उर्ध्वगति के लिए प्रयत्न करने पड़ेंगे, घोर पुरुषार्थ करना पड़ेगा जो प्रभु की कृपा से ही सम्भव है । प्रभु की अनन्य भाव से शरणागति स्वीकारें ।
'करुणादृष्टि कीधी रे, सेवक उपरे । भवभय भावठ भांगी भक्ति प्रसंग जो...' प्रभु की कृपा से मोहनविजयजी जैसी स्थिति हमारी भी क्यों न बने ?
इच्छन्न परमान् भावान्, विवेकाद्रेः पतत्यधः ।
परमं भावमन्विच्छन्नाविवेके निमज्जति ॥ परम भावों का अभिलाषी अविवेकी नहीं बनता । परम भावों का अनिच्छुक ही विवेक-पर्वत से नीचे गिरता है।
जो पाप अशुभ योगों से बंधते हैं, उनका नाश शुभ भावों से ही होता है, अशुभ भावों से तो उल्टे पाप बढते हैं ।
जिस अपथ्य आहार से रोग हुआ हो, उसके परित्याग से ही रोग नष्ट हो सकता है ।
. हमारे दोष हम ही ढूंढ सकते हैं, दूसरा कौन ढूंढेगा ? चौबीसों घंटे गुरु साथ नहीं रहते । दोष जानने पर गुरु बारबार टक-टक नहीं कर सकते । स्वमान को चोट पहुंचे तो शिष्य को गुरु पर भी क्रोध आ सकता है ।
यह तो स्वयं ही करना है। यदि यह कार्य हम नहीं करेंगे तो अन्य कोई नहीं कर सकेगा ।
. शत्रु आक्रमण करते हैं तब कितना सावधान रहना पड़ता है ? _ वि. संवत् २०२१में मैं भुजपुर था, उस समय पाकिस्तान का प्लेन बिलकुल नीचे से निकला और जामनगर पहुंचकर उसने आक्रमण कर दिया, उसी दरमियान गुजरात के मुख्यमंत्री बलवंतराय महेता का सुथरी में विमान टूटने पर अवसान हो गया था ।
कषायों का आक्रमण भी ऐसा ही होता है । हमें सदा सावधान रहना है ।
कहे कलापूर्णसूरि - १ *******
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