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जायेगी, क्रियाकाण्ड छूट जायेंगे ।
__'ध्यान-विचार' में बारहों परम ध्यान सम्पूर्ण निश्चयलक्षी हैं । वे अपनी आत्मा के साथ जोड़ने वाले हैं ।
सिद्ध : अरूपी ध्यान में सिद्धों का ध्यान धरना है ।
'सिद्धाणमाणंद - रमालयाणं' सिद्ध अनन्त हैं, अनन्त चतुष्कवाले हैं । हमारी भावी स्थिति कैसी हैं ?
सिद्ध अर्थात् हमारी भावी स्थिति । किसी ज्योतिषी को पूछने की जरूरत नहीं है । यदि हमें धर्म प्रिय है तो यही हमारा भविष्य
वखतचंदभाई को अनेक व्यक्ति पूछते है : 'आप कब संघ निकालनेवाले हैं ? कब उपधान करानेवाले हैं ? (१ वर्ष के बाद वखतचंदभाई ने उपधान तो करा लिया, लेकिन पूज्यश्री की निश्रा में संघ की भावना अपूर्ण रह गई।) ___ मैं आपको पूछता हूं - 'आप सिद्ध कब बननेवाले हैं ?'
जन्म, जरा, मृत्यु आदि से मुक्त होने का सिद्धि गति में जाने के अलावा कोई अन्य उपाय नहीं है ।
___ इस जन्म में यदि साधना नहीं की तो आगामी जन्म ऐसा मिल जायेगा, इस भ्रम में मत रहना । यहां आपके चाचा-मामा का राज्य नहीं है।
इस समय शान्त गुरु मिले हैं तो भी नहीं करते तो कठोर प्रकृतिवाले गुरु मिलेंगे तब किस प्रकार साधना कर सकोगे ?
इस समय प्राप्त देव-गुरु आदि की सामग्री का जैसा उपयोग करोगे, तदनुसार ही अगली सामग्री प्राप्त होगी । इस समय मन, वचन आदि शक्तियों का जैसा उपयोग करोगे, तदनुसार अगली शक्तियां हमें प्राप्त होगी ।
मद्रास में मेरी स्वयं की स्थिति ऐसी हो गई थी कि मुहपत्ति के बोल भी याद नहीं आ रहे थे । पट्ट के समय बड़ी शान्ति भूल जाता । इस जन्म में भी शरीर दगा दे सकता है, तो आगामी जन्मों में तो क्या होगा ? इसकी कल्पना तो करो । ४१४ ****************************** कहे
कहे कलापूर्णसूरि - 8