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यहां यदि जाप में आपको आनन्द आया हो तो आप इस जाप को जीवन में उतारें । जाप से संसार के कष्टों में दृढ रहने की शक्ति मिलेगी।
यदि नवकार को फलदायी बनाना हो तो रात्रि-भोजन त्याग, अभक्ष्य त्याग आदि को अपनायें ।
___ अध्यात्मयोगी, सांप्रतकालना महान भक्तियोगाचार्य पूज्यपाद आचार्यदेवेश श्रीमद् विजय कलापूर्णसूरीश्वरजी महाराजना कालधर्मना समाचारथी वज्रघात अनुभव्यो ।
स्व. पूज्यपादश्रीना सान्निध्यमां दहीसर मुकामे मात्र एक ज दिवस रहेवानुं सद्भाग्य मळ्युं हतुं पण ते एक दिवस जीवनमां क्यारेय नहि भूलाय । दर्शन मात्रथी दुरितनो ध्वंस थई जाय तेवं तारक दर्शन हवे क्यारेय नहीं मळे.. ए विचारमात्रथी व्यथित थई जवाय छे । परमात्मा समक्ष बाळकनी जेम कालावाला करता ए परम प्रभुभक्तनी भक्तियेली ए मनोहर मुखमुद्रा आंख सामेथी खसती नथी।
वर्तमान जैन संघे एक अणमोल रत्न गुमाव्युं छे । तेओश्रीनी विदायथी जैन संघने खूब मोटो फटको पड्यो छे । तेओश्रीन व्यक्तित्व सर्वग्राह्य अने सर्वमान्य हतुं । सकल संघना हृदयमां तेओश्रीनुं उंचुं स्थान हतुं । नवी मुंबई प्रतिष्ठ प्रसंगे पधार्या त्यारे मुंबई नजीकना तमाम स्थळोए तेओश्रीना दर्शन माटे केवो मोटो मानव-महेरामण उभरतो हतो ?
आ पूज्यपादश्रीनी सेवाभक्ति अने जीवनभर सानिध्य पामीने आप सह तो धन्य बनी गया। पूज्यपादश्रीनी विदाय आप सहुने विशेष आघात उपजावे ते सहज छे। परंतु परमोपकारी प्रभुशासनमां आवा घा रुझववा ज्ञानरसायण आपणने भरपूर मळ्युं छे । पूज्यपादश्रीनी गरवी गुणस्मृति तो आपणी पासे छे ज ।
, पूज्यपादश्रीनी निकटमा रहेनारा आप सहुए तेओश्रीनी अद्भुत परिणतिना पुरावा जेवा अढळक प्रसंगो नजरे निहाळ्या हशे । अनुकूळताए तेनो एक दळदार संचय जैन संघने भेट धरशो तेवी विनंति । जेथी पूज्यपादश्रीना भव्य जीवननो जैन संघने विशेष परिचय थाय अने सुंदर प्रेरणा प्राप्त थाय ।
- एज. पं. मुक्तिवल्लभविजयनी वंदना
म.व. १, बोरीवली, मुंबई..
३७४ ******************************कहे कला