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बंगलोर, वि.सं. २०५१
SMAR
२३-८-१९९९, सोमवार
श्रा. सु. १२
. जिसने अहिंसा रूपी सिद्धशिला पर निवास नहीं किया, वह ईषत्प्राग्भारा सिद्धशिला पर निवास नहीं कर सकता ।
इषत्प्राग्भारा सिद्धशिला कार्य है, अहिंसा कारण हैं । ___ 'शिवमस्तु सर्व जगतः' में आया हुआ शब्द 'शिवा' का अर्थ अहिंसा होता है । प्रश्न व्याकरण में अहिंसा के पर्यायवाची शब्दों में 'शिवा' शब्द भी है । 'अहं तित्थरमाया' 'मैं अहिंसा, शिवा, करुणा, तीर्थंकर की माता हूं,' करुणा के बिना कोई भी तीर्थंकर नहीं बन सकता । अतः समस्त गुणों को उत्पन्न करने वाली, शेष व्रतों की रक्षा करने वाली अहिंसा ही है ।
हृदय कठोर हो तो समझें - अनन्तानुबंधी कषाय है। जब तक यह होगा तब तक सम्यग्दर्शन नहीं होगा । जब तक सम्यग्दर्शन न हो तब तक गुण भी अवगुण कहलायेंगे । अवगुण तो अवगुण हैं ही।
सम्यग्दर्शन की जननी अहिंसा है, मैत्री है, प्रभु-भक्ति है । कठोर-हृदयी व्यक्ति मैत्री या भक्ति नहीं कर सकता ।
एक तो अनन्तानुबंधी कषाय हो और साथ में मिथ्यात्व हो तो फिर पूछना ही क्या ?
**** कहे कलापूर्णसूरि - १)
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