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'आज मारा प्रभुजी सामुं जुओने, सेवक कही बोलावो रे ।' इस स्तवन में ज्ञानविमलसूरिजी ने यही भाव प्रदर्शित किया है।
४. किंकर : किं करोमि ? आदिशतु भवान् । इति यः स्वामिनं पृच्छति सः किंकरः । प्रेष्य आदि सबकी अपेक्षा किंकरत्व कठिन है। 'भगवन् ! अब क्या करूं? आदेश दें ।' जिसमें ऐसा भाव हो वह किंकर है । भगवान का आदेश - आज्ञा आगमों में बताये हुए है । तदनुसार जीवन जिये अथवा जीने का प्रयत्न करे वह किंकर कहलाता है ।
साभार स्वीकार - 'कहे कलापूर्णसूरि...'
शासन प्रभावक आचार्यदेवेशनी जिनभक्ति - लगन - शासनदाझ - परोपकार वृत्ति-पदार्थोने सरळ करवानी कळाने भावांजलि...!
अवतरणकार बने गणिवर्योनी गुरुभक्ति - श्रुतभक्तिनी भूरि भूरि अनुमोदना.
- पुण्यसुंदरविजय गोडीजी मंदिर, पूना.
(कहे कलापूर्णसूरि - १ ***
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