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भारत के विभिन्न साम्राज्यों में जैन श्रमण
इसी प्रकार अजन्ता की प्रसिद्ध गुफाओं के पुरातत्व में ईस्वी सातवीं शताब्दि में दिगम्बर श्रमणों के अस्तित्व की प्रमाणिकता प्राप्त है। वहाँ की गुफा नं. 13 में दिगम्बर श्रमण संघ चित्रित है। गुफा नं. 33 में दिगम्बर प्रतिमाएं हैं।
बादामी (वीजापुर) में सन् 650 ई. की जैन गुफा उस समय के जैन श्रमणों की सत्ता की द्योतक है। उसमें श्रमणों के ध्यान करने योग्य स्थान एवं नग्न प्रतिमाएं अंकित हैं।
(9) एलोरा की गुफाएं :
आठवीं शताब्दी में निर्मित एलोरा की जैन गुफाओं में इन्द्रसभा नामक गुफा में जैन मुनियों के ध्यान करने और उपदेश देने योग्य कई स्थान हैं, और उनमें अनेक नग्न मूर्तियाँ अंकित हैं। बाहुबलि स्वामी की भी खड्गासन मूर्तियाँ "जगन्नाथसभा" "छोटा कैलाश" आदि गुफाएं भी इसी ढंग से की हैं और उनसे तत्कालीन दिगम्बर श्रामण्य की निराबाध सत्ता का परिचय मिलता है।
उपर्युक्त लेखों के अतिरिक्त 8-10 शताब्दी के मूलगुंड, सून्दी (धारवाड) आदि के पुरातत्व जैन श्रमणों की प्रशंसात्मक शिलालेख तथा कोल्हापुर में शिलाहार राजा के शिलालेख मिलते हैं एवं वहाँ के "इरविन म्यूजियम में एक 10वीं शताब्दी का शिलालेख जैन श्रमण के उत्कर्ष को प्रकाशित करता है, तो दूसरी तरफ ग्वालियर और दुवकुंड में 11वीं शताब्दी के शिलालेख दिगम्बर जैन श्रमण के परिचायक हैं, खजुराहो, झालरापाटन, अलवर, विजौलिया, देवगढ (झाँसी) अंजनेरी (नासिक जिला) वेलगाम, बीजापुर, तेवरी (जबलपुर ), दिल्ली, लखनऊ, कलकत्ता आदि की पुरातात्विक सामग्री भी दिगम्बर जैन श्रमण संघ की प्रसिद्धि में किसी से भी कम नहीं रही है। निष्कर्ष रुप में पूर्व से पश्चिम एवं. उत्तर से दक्षिण तक सम्पूर्ण भारत में दिगम्बर जैन श्रमणों की अर्वाचीनता के भी सूचक शिलालेख पाए जाते हैं, जिससे एक लम्बे प्राचीन काल से दिगम्बर जैन श्रमणों की सर्वमान्यता की सिद्धि होती है।
(ग) भारत के विभिन्न साम्राज्यों में जैन श्रमण : (1) नन्द साम्राज्य
जैन श्रमणों की प्राचीन सम्राटों के साम्राज्य में काफी सन्तोषप्रद एवं सम्माननीय स्थिति रही है, प्रसिद्ध नन्द वंश के साम्राज्य में प्रसिद्ध पुरुषों ने स्वयं दिगम्बर जैन श्रमण होकर देशाटन करते हुए जनता का उपकार किया था एवं नन्दराजा जैनों के संरक्षक 285 और राजा नन्द के मन्त्री शकटाल के पुत्र स्थूलभद्र ने दिगम्बर श्रमण की दीक्षा स्वीकार की थी।86 यह नन्द वंश अति प्रतापी एवं विख्यात् सम्राट था। इसने दक्षिण पूर्व और पश्चिमीय समुद्रतटवर्ती देश जीत लिये थे तथा उत्तर में हिमालय प्रदेश और काश्मीर एवं अवन्ती और