Book Title: Jain Shraman Swarup Aur Samiksha
Author(s): Yogeshchandra Jain
Publisher: Mukti Prakashan

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Page 284
________________ जैन श्रमण के भेद-प्रभेद 8. सुखावह क्षुधादि से पीड़ित साधु को उत्तम कथा आदि के द्वारा शांत करके सुखी करते हैं, वे सुखावह गुण के धारी हैं। 283 स्थिति कल्प के दश भेद आचेलक्य, औद्देशिक, पिंड त्याग, शय्याधर पिंड त्याग, कृति कर्म, व्रतारोपण योग्यता, ज्येष्ठता, प्रतिक्रमण, मासैकवासिता और योग, इस प्रकार दस स्थितिकल्प के धारी होते हैं। छह आवश्यकों का वर्णन 28 मूलगुणों में ही हो चुका है। तप 12 प्रकार का बतलाया है - अनशन, अवमौदर्य, वृत्तिपरिसंख्यान, रसपरित्याग, विविक्तशय्यासन, कायक्लेश-यें छह बहिरंग तप हैं । प्रायश्चित्त, विनय, वैयावृत्य, स्वाध्याय, व्युत्सर्ग एवं ध्यान, ये अन्तरंग तप हैं। रत्नकरण्ड श्रावकाचार श्लो - 5 की पं. सदासुख दास कृत षोडशकारण भावना में आचार्य भक्ति में-12 तप, 6 आवश्यक, 5 आचार, 10 धर्म, 3 गुप्ति के भेद से 36 गुण कहे हैं। इसी प्रकार के गुण बुधजन कवि कृत इप्टछत्तीसी में मिलते हैं। 11 - उत्तराधिकारी आचार्य व नियुक्ति विधि श्रमणों के संघ का संरक्षक आचार्य होता है। इसी कारण श्रमण संस्कृति में "आचार्य पद" का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है। इसलिए आचार्यपद की पात्रता पर जैन धर्म में पर्याप्त सूक्ष्मता व गम्भीरता से विचार किया गया है । जब संघ का आचार्य यह देखता है कि मेरा अब समाधिमरण का काल है । तब वह अपने पद का योग्यतम उत्तराधिकारी चयन करता है। उत्तराधिकारी के चयन में आचार्य अत्यधिक विवेक का परिचय देते हैं, मनचाहे जिस किसी को आचार्य नहीं बना देते हैं, अपितु जो रूप से, वय से, योग्यता से अति विशिष्ट हो, अखण्ड आचारी, प्रायश्चित विधि का अनुभवी, सबल दोषों से रहित, निः कपाय चारित्र वाला, तथा संघ के सभी श्रमण जिसके आचार्य होने की कल्पना कर रहे हों - ऐसे सर्वमान्य श्रमण विशेष को ही आचार्य पद से प्रतिष्ठापित करते हैं। उपर्युक्त योग्यताधारी श्रमण को आचार्य पद पर प्रतिष्ठापन विधि का स्वरूप बतलाते हुए आचार्य शिवार्य कहते हैं कि, आचार्य अपनी आयु की स्थिति का विचार कर सम्पूर्ण संघ को और बालाचार्य को बुलाकर शुभ-दिन, शुभकरण, शुभ नक्षत्र और लग्न में तथा शुभ देश में गच्छ का पालन करने योग्य गुणों से विभूषित अपने समान भिक्षु का विचार करने के पश्चात् वह धीर-वीर आचार्य उपदेश देकर उस बालाचार्य को अपना गण सौंप देते हैं।

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