Book Title: Jain Shraman Swarup Aur Samiksha
Author(s): Yogeshchandra Jain
Publisher: Mukti Prakashan
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270
50. वही 7/105 51. राजवार्तिक 9/44/1
52. मूलाचार 7/101
53. मूलाचार 7/102
54. धवल 13/5, 4, 28/89/1
55. चत्तारि पडिक्कमणे किदियम्मा तिण्णि होंति सज्झाए ।
पुव्व अवर किदियम्मा चोद्दसा होंति ।। मूलाचार 7/103 ।।
56. मूलाचार वृत्ति 7/104
57. वही 7/104
58. वही
59. वही; अनगार धर्मामृत 8/88-89 60. मूलाचार सवृत्ति 7/106-1101
61. यो. सा. अ. 5/50 कृतानां कर्मणां 62. नि. सा. गा. 82.
63. प्र. सा. ता. वृ. 207/281
64.
65.
66. मू. आ. 26
67. . 13/5, 4, 26/60/8
68. मूलाचार 7/116
69. भ. आ. वि. 116/275/14.
70. भ. आ.वि. 115/275/14
71. वही 509/728/14
72. स. सा. ता. तृ. गा. 307
73. वही गा 283
स. सि. 9 / 22, रा. वा. 9/22/3; त. सा. 7 / 239
8/3, 41/84/6
जैन भ्रमण : स्वरूप और समीक्षा
79. मूलाचार 7/103
80. अन. ध. 9/38
• प्रतिक्रमणमीर्यते ।
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81. स. सा. मू. 384
82. नि. सा. मू.गा. 95, 97, 104
83. योगसार (अमितगति कृत) 5 / 51
74. स. सा. गा. 284-285 भावार्थ जयचन्द्र कृत
75. रा. वा. 9/22/4
76. सर्व प्रतिक्रमणमालोचनापूर्वकमेव । तत्वार्थवार्तिक 9/22/4
77. मूलाचार गा. 7/121
78. चारित्रसार 141/4

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