Book Title: Jain Shraman Swarup Aur Samiksha
Author(s): Yogeshchandra Jain
Publisher: Mukti Prakashan

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Page 272
________________ सन्दर्भ सूची 84. नि. सा. ता.वृ. 95 85. रा. वा. 6/24/11 86. 87. 88. मू. आ. 27 89. वही गा 639-40 90. भगवती आराधना टीका सहित 509 91. वही 1/27 92. 93. 94. 6/1, 9-1, 24/44/4 8/3, 41/85/1 स्थानांग सूत्र 3 / 27, 5 / 221 समयसार गाथा 34 जै. सि. को. पू. 627 95. मू.आ.गा. 28 9. रा. वा. 6/24/11, 530 / 14, भ.आ.वि. 6/32/21 97. नि. सा. गा. 121 98. कार्तिकेयानुप्रेक्षा गा. 467-68 99. मूलाचार 662, 668; अन ध. 8/76 100. वही 667, 671-672 101. वही गा 656 102. मूलाचार गा. 659-60 103. जोगेसु मूलजोगं भिक्खाचरियं च वण्णियं सुत्ते । to पुणो जोगा विण्णाणविहीण एहिं कया । । मूला. 10/46 ।। 104. मूलाचार 10/40 105. वही, आचारवृत्ति 10/26 106. वही / 10/25 107. पिण्ड नियुक्ति गा. 6 108. पिण्ड शुद्धिमाहार शुद्धिमिति - मूलाचार, पिण्ड शुद्धि अधिकार गा. 1 109. त्रयाणां शरीराणां षण्णां पर्याप्तीनां योग्य पुद्गल ग्रहणामाहारः 2/30/320 133 110. अनगार धर्मामृत स्वोपज्ञ ज्ञानदीपिका 3 / 9, पृ. 495 111. आहारदंसणेण य तस्सुवजोगेण ओमकोठाए । सादिदरुदीरणाए हवदि हु आहारसण्णा हु ।। गो. सा. जी. गा. 135 112. मूलाचार 7/147; अनगार धर्मा. 7/13 113. वही 7/148 271 सर्वार्थसि. 114. वृहत्कल्पभाष्य 1363 115. . जैनेन्द्र सिद्धान्त कोष भाग 1, पृष्ठ 285, द्वितीय संस्करण, इस सूची के प्रमाण

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