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कम मानसिक विकारी दोष हुए थे। जिस प्रकार दाग़ वाला कपड़ा साबुन से धोने से साफ हो सकता है, उसी प्रकार मानसिक दोष धो देने पर साफ हो गए थे।
[5] मदर
[5.1] संस्कारी माता खुद के परिवार के बारे में बताते हुए दादाजी कहते हैं कि हमारी मदर झवेर बा बहुत सुंदर, फादर बहुत सुंदर और बड़े भाई भी बहुत सुंदर थे। बा तो देवी जैसी थीं। बहुत उच्च संस्कार थे, प्रेरणादायक। झवेर बा के फादर-मदर भी राजसी परिवार से थे, उच्च, शुद्ध माल वाले, उनके घर में हमेशा सदाव्रत चलता था। उनके घर से कोई भी भूखा वापस नहीं जाता था। साधु-सन्यासी जो भी आते, उन्हें अपने यहाँ ठहराते थे, खाना खिलाते थे, उनकी सेवा करते थे। ऐसे परिवार में बहुत उच्च प्रकार के लोगों का जन्म होता है। तभी तो वहाँ पर झवेर बा का जन्म हुआ। (दादा का जन्म भी ननिहाल में हुआ था।)
मदर के गुण भी उत्तम थे। ओब्लाइजिंग नेचर, जब मुहल्ले में निकलती थीं तो हर एक घर वाले उन्हें 'जय श्रीकृष्ण' करने के लिए बाहर आते थे। कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि बा ने किसी को परेशान किया हो। कोई अपमान कर जाए और अगर वही व्यक्ति वापस आए तो उन्हें बा उतने ही प्रेम से बुलाती थीं इतनी करुणा वाली, समता वाली और खानदानी थीं!
इतने प्रेम वाले थीं कि लोगों को भाव से खाना खिलाती थीं। कोई दही लेने आए तो मलाई वाला दही देते थीं।
बा का स्वभाव धीरज वाला व हिम्मत वाला था। एक बार जब मूलजी भाई रात को बाहर सो गए थे तब बहुत बड़ा साँप उनके शरीर पर से होकर निकला। बा ने देखा लेकिन धीरज रखा और साँप के शरीर पर से निकल जाने के बाद ही पिता जी को उठाया। बा में इतना धीरज था!
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