Book Title: Dashvaikalika Sutram Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अध्ययन ४ सू. २० (६)-सकाययतना कम्बल पर पायपुच्छणसि चापेर यौछनेके उपकरणविशेषपर रयहरणंसि चारजोहरण पर गोच्छगंसि वा-पूंजनी पर उंडगसि वा स्थण्डिलपात्र पर दंडगंसि वादंड पर पीढगंसि वा-चौकी पर फलगंसि वा-पाटे पर सेजसि या शरीरपरिमित शयन करनेके उपकरण पर संधारगंसि वा संस्तारक-साढे तीन हाथ परिमित विछौने पर (अथवा) अन्नयरंसि वा-फिर दूसरे तहप्पगारे-इसी प्रकारके उवगरणजाए-उपकरणों पर (लगे हुए पूर्वोक्त कीडे आदिको) तओ उस स्थान-हाथ पैर आदिसे संजयामेवयतनाके साथही पडिलेहियर बार-बार प्रतिलेखन करके पमजियरवार-बार पूंजकर एग-एकान्त-निरुपद्रव स्थान में अवणेज्जाले जाकर रखदे, (किन्तु उनको) नोणं संघायमावजेज्जा-एकठा न करे ॥२०॥
(६) सकाययतना।। टीका-हस्ते, पादे, बाहौ, ऊरौ मान्परिभागे, उदरे, शीर्षे, वस्त्रे-मुखवत्रिकाचोलपट्टादौ, प्रतिग्रहे प्रतिगृह्णाति आधत्ते स्वस्मिन् भक्तपानादिकमिति प्रतिग्रहापात्रं तस्मिन्, कम्बले, पादपोन्छनेमोन्छयतेअमृज्यतेऽनेनेति मोन्छनं-प्रमार्जनसाधनम् , पादयोः मोन्छन-पादमोन्छन तस्मिन् पादपोन्छनसाधने वस्त्रखण्डे, रजोहरणे, गोच्छे सचित्तरजा-संमचरणममा निकायाम् 'पूँजनी' इति भाषामसिद्धायाम् , उण्डके-स्थण्डिलपात्रे, दण्डेद्धत्वादिना प्रस्थानविप्लवगतिभिर्वतिभिरवलम्बनाय धार्यमाणे, नान्यथा, "थेराणं थेरभूमिपत्ताणं कप्पइ दंडए वा” इत्यादिना स्थविर-स्थविरभूमिमाप्तातिरिक्तमुनीनां
(६) प्रसकाययतना। __ हाथ, पैर, भुजा, जाँध, उदर, मस्तक, मुखवस्त्रिका, चोलपट्ट आदि वस्त्र, पात्र, कम्बल, पाद-प्रोन्छन-पैर पोंछने का वस्त्रखण्ड, रजोहरण, गोछा पूँजनी (पैरोंमें लगी हुई रजको पोंछनेका उपकरण), स्थण्डिलपात्र, वृद्धावस्था आदिके कारण गमन करने में असमर्थ मुनिके (चलनेमें) सहायक दण्ड, क्योंकि भगवानने " स्थविर और स्थविरभूमिको प्राप्त मुनियोंको ही दण्ड धारण करना
(क) सहाययतना. હાથ, પગ, ભુજ, ગ, ઉદર, મસ્તક, મુખવસ્ત્રિકા, ચેળપટે આદિ વસ્ત્ર પાત્ર, કામળી, પગ છાણું, રજોહરણું, પૂજણ, સ્થડિલપાત્ર, વૃદ્ધાવસ્થાઆદિને કારણે ચાલવામાં અસમર્થ મુનિને સહાયક એ દંડ, કારણ કે ભગવાને “થવિર અને સ્થવિર ભૂમિને પ્રાપ્ત મુનિઓને માટે જ દંડ ધારણું કપનીય છે એવું કહ્યું છે,