Book Title: Dashvaikalika Sutram Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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श्रीदशकालिकमूत्रे
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(१) स दाता (पुरस्कमर्चा), अन्यद् द्रव्यम् , अन्यगृहम् । (२) स दाता, अन्यद्रव्यम् तद्गृहम् (यत्र पुरस्कर्म कृतम् )। (३) स दाता, तद्रव्यम् (यद्रव्यमुद्दिश्य पुर:फर्म कृतम्), अन्यगृहम् । (४) स दाता, तव्यं, वगृहम् ।। (५) अन्यो दावा, वन्यं, तद्गृहम् ।। (६) अन्यो दाता, तद्रव्यम् , अन्यद्गृहम् । (७) अन्यो दाता, अन्यद्रव्यं, तद्गृहम् । (८) अन्यो दाता, अन्यट्टव्यम् , अन्यद्गृहम् । एण्वष्टम भङ्गेपु मथमाऽटमी भगौ साधूनां कल्प्यौ, तदितरे भगा अकल्प्याः। १- वही (पुर कर्म करनेवाला) दाता, अन्य द्रव्य, अन्य गृह । २- वही दाता,
अन्य द्रव्य, वही गृह । ३-- वही दाता, वही द्रव्य,
अन्य गृह । ४- वही दाता, वही द्रव्य,
वही गृह। ५- अन्य दाता, वही द्रव्य, वही गृह । ६- अन्य दाता, वही द्रव्य,
अन्य गृह । ७- अन्य दाता,
अन्य द्रव्य, वही गृह । ८- अन्य दाता, अन्य द्रव्य, अन्य गृह।
इन आठ भंगोमेंसे पहला भंग और आठवाँ भंग साधुके लिये कल्प्य हैं और अन्य सब अकल्प्य हैं। मे (५२:४ ४२२) हता, सन्य द्रव्य,
અન્ય ગ્રહ सत्य द्रव्य,
એજ ગ્રહ એજ દાતા,
અન્ય ગૃહ એજ દાતા,
स४ २०य,
એજ ગ્રહ અન્ય દાતા,
मेर द्रव्य, એજ ગૃહ अन्य Edi,
એજ દ્રવ્ય, अन्य atta
मन्य द्रव्य એજ ગૃહ अन्य हाता,
અન્ય દ્રવ્ય,
અન્ય ગ્રહ આ આઠ ભાગમાંથી પહેલે ભાંગે અને આઠમા ભાગે સાધુને માટે કલ્પનીય છે અને બીજા બધા અકલ્પનીય છે.
म द्रव्य,
अन्य