Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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अकारादि-घृत
(५५)
तो उसमें उपरकी दवाइयां और अफीम से छः गुणी | और स्तम्भन होता है । इस दवाको नित्य सेवन करनेसे शरीर हृष्ट पुष्ट और बलवान होता है तथा क्षयज रोगोंका नाश होता है ।
चीनी मिलाकर मर्दन करके गोलियां बनावे | इन गोलियोंको रातमें मुंहमें रखनेसे कामशक्ति बढ़ती है ।
अथ अकारादि घृत प्रकरणम्
घृत व्याख्या
घृत पाक करनेमें सबसे पहिले घृत को मूर्च्छित किया जाता है, इसके बाद उसमें काथ, दूध, दही आदि द्रव पदार्थ और औषधियों का कल्क डाल कर पकाया जाता है फिर तैयार होने पर छान कर उसमें प्रक्षेप - द्रव्यों का चूर्ण डाला जाता है ।
मूर्छा-१ सेर घी को मंदाग्नि पर गरम करके फेन रहित होनेपर उसमें हैड़, बहेड़ा, आमला, हल्दी और नागरमोथा इन सबको ५ तोला लेकर बिजौरे के रस में पीस कर डाले । इससे घृत साफ, आमदोष रहित और वीर्यवान हो जाता है ।
काथ — घृत पाक के लिये जिन चीजों का क्वाथ बनाना हो वह सब मिला कर घृत से दो गुनी लेनी चाहियें और आठ गुने पानी में पका कर चौथा भाग शेष रहने पर छान लेना चाहिये । यदि क्वाथ्य द्रव्यों का परिमाण बहुत अधिक हो तो सब का क्वाथ एक साथ ही न बनाकर ६ - ६ । सेर द्रव्य लेकर कई बार में क्वाथ तैयार करे और सब क्वाथों को मिलाले । औषधि (क्वाथ्य द्रव्य) का परिमाण ६ | सेर हो तो जल ३२ सेर लेना चाहिये ।
दूध आदि - यदि केवल दूधसे ही घृत पाक करना हो और उसमें क्वाथ आदि अन्य द्रव पदार्थ न डालने हों तो दूध घृतसे आठ गुना लेना चाहिये और यदि अन्य द्रव पदार्थ भी डालने हों तो दूध घृत के समान लेना चाहिये । यदि ३ द्रव पदार्थों से घृत पाक करना हो तो इन्हें बराबर २ मिलाकर घृतसे चार गुना लेना चाहिये और यदि चार या चारसे अधिक द्रव पदार्थ डालने हों तो प्रत्येक पदार्थ घृत के समान लेना चाहिये । यदि केवल स्वरस, दूध और दही आदि से पाक करने के लिये लिखा हो तब भी स्नेह से चार गुना जल अवश्य मिला लेना चाहिये क्योंकि केवल दूध दही आदि से स्नेहका पाक भली भांति सिद्ध नहीं होता ।
कल्क – स्नेह में साधारणतः स्नेहका चौथा भाग कल्क डाला जाता है परन्तु यदि बासापुष्प आदि का कल्क डालना हो तो स्नेह से आठवां भाग लेना चाहिये । यदि केवल जलसे स्नेह सिद्ध करना हो तो कल्क चौथा भाग, क्वाथ से सिद्ध करना हो तो छटा भाग और स्वरस से सिद्ध करना हो तो आठवां भाग कल्क डालना चाहिये ।
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