Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
६३४ भारत-भैषज्य रत्नाकरः
[सकारादि जो इसे सदा सेवन करता है उसकी कामानि लेह लिह्यात्समध्वाज्यैः पाण्डरोगी हलीमकी। अत्यन्त प्रबल हो जाती है तथा बल वीर्थकी। स लेहः कामलां हन्यादपि सम्वत्सरोत्थिताम् ॥ खूब वृद्धि होती है।
खैरके क्वाथमें बायबिइंग, धनिया, खरैटी, ___ यह पाक कास, श्वास, क्षय अर्श, अजीर्ण, कुटकी, मिश्री, मुलैठो, हरे, बहेडा, आमला, हल्दी दारुण अम्लपित्त, सृष्णा, छर्दि, मच्छी, आठ प्रका- | और दादल्टी का
और दारुहल्दी का चूर्ण मिलाकर मन्दाग्नि पर रके शूल, ग्रह, राक्षस, पिशाच, अपस्मार, पाण्डु, पकावें और अवलेह तैयार हो जाने पर ठेडा प्रमेह और मूत्रकृच्छादि रोगों को नष्ट करता है। करके सुरक्षित रक्खें । यह आयुवर्द्धक और मेध्य है । इसके सेवन करने से
इसे घी और शहदमें मिलाकर चाटनेसे १ पति स्त्रीके और स्त्री पसिके वशीभूत हो जाती है।
वर्षके पुराने कामला रोग और पाण्ड तथा हलीइसका अनुभव सहस्रों बार हो चुका है। किसी
मकका नाश होता है। प्रकारके सन्देहको स्थान नहीं है। (९५७६) स्खदिरादिलेहः
__(क्वाथ ४ सेर, समस्त द्रव्योंका समान भाग (व. से. ; र. रा. सु. । पाण्ड.)
| मिलित चूर्ण ४० तोले ।) पचेत् खदिरनिःक्वाथे विडाधान्ययो रजः। १. रा सु. में धनिये के स्थान पर बला तिक्ता सिता यष्ठी त्रिफला रजनीद्वयम् ॥ नागरमोथा है ।
____ इति खकाराधवलेहमकरणम्
-
०
अथ खकारादिघृतप्रकरणम् (९५७७) खदिरादिघृतम्
इसे पीनेसे समस्त प्रकारके कुष्ठ और विसर्प (हा. सं. । स्था. ३ अ. ४२) | नष्ट होते हैं। खदिरकदरमूळबालकं कर्णिकारः
(९५७८) खजूराचे वृतम् कुटजसपारिभद्रारम्बधानीपदीप्याः ।
(व. से. । राजयक्ष्मा.) क्लथिनमपि समांशं यद्धृतं पानमस्य
| घृतं ख— 'मृद्वीकामधुकैः सपरूपकैः । . विनिहन्ति सकलान्वै कुष्ठवैसर्पदर्पान् ॥
| सपिप्पलाकैवस्वर्थकासश्वासज्वरापहम् ।। खैरसार, सफेद खैरका सार, मूर्वा, सुगन्धबाला, छोटे अमलतासको छाल, कुड़ेको छाल, नीम,
___खजूर, मुनक्का, मुठी, फालसा और पीपल अमलतासकी छाल, कदम्बकी छाल और अजवायन | इनके क्वाथ और कल्क से सिद्ध घृत स्वरभंग, कास, इनके क्वाथके साथ घृत सिद्ध करें। । श्वास और ज्वरको नष्ट करता है।
इति खकारादिघृतपकरणम्
For Private And Personal Use Only