Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[निद्रानाश
-
(२८) निद्रानाशाधिकारः अनन-प्रकरणम्
मिश्र-प्रकरणम् ९४३९ कमलकन्दादि योगः निद्रानाश । ९१३८ उपोदिकादि योगः निद्रानाश
(२९) नेत्ररोगाधिकारः लेप-प्रकरणम्
९४३६ कणाजनम् नक्तान्ध्य ९०८२ इक्षुमूलादिलेपः पित्तजनेत्राभिष्यन्द
| ९४३७ कतकफलाचं० क्षतशुक्र ९४२६ कृष्णलोहादियोगः नेत्रार्म में अत्युत्तम ९४४१ करञ्जवीजायं० पिल्ल नष्ट होकर पलकके
बाल निकल आते हैं। धूप-प्रकरणम्
९४४२ करमास्थ्यञ्जनम् असाध्य नेत्रशुक्र भी ९४३४ काकमाचीफल
काला हो जाता है। धूपः
आंखसे तुरन्त कृमि | ९४४३ करवीरादियोगः नवीननेत्राभिष्यन्द निकलकर पिल्ल रोग नष्ट
| ९४४४ कर्पूराद्यञ्जनम् शुक, तिमिर, काच, हो जाता है।
अर्म ९४४५ कार्पासायञ्जनम् पुराना नेत्रस्राव अञ्जन-प्रकरणम्
९४४६ कासीसाधञ्जनम् पिल्लरोगको शीघ्र नष्ट
करता है। ८९०५ अपराजितावर्तिः नेत्रकण्डू, तिमिर, काच,
९४४७ , अर्म, काच, तिमिर, पिल्ल, अर्म
अर्जुन, वर्मरोग ८९०६ अपामार्गमूलाद्य
| ९४४८ कुमारीवर्तिः नष्टचक्षुः भी ठीक हो अनम् नेत्राभिष्यन्दको शीघ्र ।
जाती है नष्ट करता है।
३ दिनमें रक्तज नेत्रा८९०७ अम्लिकाञ्जनम् नेत्रस्राव, नेत्रकण्डू, अ- |
भिष्यन्द नष्ट होता है धिमन्थ
९४५१ कोकिलागुटी तिमिर ८९१२ अश्वत्थपत्रादिवटी तिमिर
९४५२ कौलीतिकाव० समस्त नेत्राभिष्यन्द ८९१३ अश्वलालायञ्जनम् दिवानिद्रा, तन्द्रा ८९१४ अक्षयोगः पुष्प, मक्तान्थ्य, तिमिर,
मिश्र-प्रकरणम् पटल
| ९०५९ आमलक्यादि ९१७१ एलादिवर्तिः पोथकी, कुकूणक
स्नानम् दृष्टिवर्द्धक
९४४९ कुलत्थाथज०
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