Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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नेत्ररोग]
परिशिष्ट (चि. प.प्र.)
६६१
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९५४१ करभस्वेदः पलककी पिडिका ९५४५ कशेरुकादियोगः पित्तज तथा रक्तज ने
त्राभिष्यन्द
९५५१ कारवेल्लीमूला.
श्च्योतनम्
काच
नस्यम्
(३०) पाण्डुकामलाधिकारः गुटिका-प्रकरणम्
नस्य-प्रकरणम् ८८३७ अमृतवटकः कामला, पाण्ड.ज्वर.शोथ ८११५ अकालमूलाद
कामला
९४५६ कर्कोटमूलादि अवलेह-प्रकरणम्
नस्यम् ९५७६ खदिरादिलेहः पुराना पाण्डु, कामला,
रस--प्रकरणम् हलीमक
८९७९ अमृतश्रवा रसः शुष्क पाण्डु
८९८६ अयश्चूर्णादियोगः पुराना पाण्डु धृत-प्रकरणम्
९४९२ कामलाप्रणुद रसः कामला ८८४८ अमृतलतादि घृ० हलीमक
९४९७ कामेश्वरी व० सशोथ कफज पाण्डु
करणम्
(३१) प्रमेहाधिकारः कषाय-प्रकरणम् | ९१४८ एलादि चूर्णम् प्रमेह ८७७८ अग्निमन्थक० वसामेह (सरल योग)। ९१४९ ,, प्रमेह, मूत्रदाह, हिका ८७९७ अश्वत्थादि क्वा० नील, हारिद्र, शुक्र, क्षार, माञ्जिष्ठ और रक्त
गुटिका-प्रकरणम् मेहके लिये पृथक् पृथक् | ९३०१ कस्तूरी मोदक: समस्त मेह, सोमरोग, सरल योग
___ मूत्रातिसार, मूत्रकृच्छु ९१८६ कटङ्कटेर्यादि क्वा० प्रमेह ९२२० कुटजादिक्वा० समस्त प्रमेह
अवलेह-प्रकरणम् चूर्ण-प्रकरणम्
| ९३१३ कामसुन्दरपाकः प्रमेह, ज्वर नाशक, ८८२६ अश्वत्थबीजादि
रसायन योगः समस्तमेह (सरल योग) ।
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