Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 685
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भगन्दर] परिशिष्ट (चि. १. प्र.) (३३) भगन्दराधिकारः कराय-प्रकरणम् मिश्र-प्रकरणम् ९५७१ खदिरादि का० भगन्दर । ९००३ अपामार्गादि क्षारः भगन्दर, अर्श, नाड़ीवण ९२७२ खदिरसारादि यो० भगन्दर, कुष्ठ लेप-प्रकरणम् ९४२० कुष्ठादि लेपः भगन्दर (३४) मदात्ययाधिकारः कषाय-प्रकरणम् मिश्र-प्रकरणम् ९२३० कुष्माण्डरस यो० कोद्रव का मद ९२५२ कर्कन्ध्वादि पानकम् पानविभ्रम, पानात्यय, रस-प्रकरणम् तृषा, छर्दि, दाह ९४६६ कजली योगः मदात्यय (३५) मसूरिकाविस्फोटकाधिकारः लेप-प्रकरणम् । ९३११ करञ्जवीजादि विस्फोटक, दुष्ट वण ८८९६ अश्वगन्धादि मसूरिकाके रोगीको सुरक्षित रखता है धूप-प्रकरणम् ९०८५ इन्द्रयवलेपः विस्फोटक ९१२२ उपगन्धादिधूपः प्रारम्भमें धूप देने से मसू९१२१ उशारादिलेपः मसूरिका, स्वेद रिका नष्ट हो जाती है। (३६) मिश्राधिकारः चूर्ण-प्रकरणम् गुटिका-प्रकरणम् ८८१८ अलम्बुषादि चू० शरीरकी दुर्गन्ध ८८४० अमृतरसोनपिण्डः अस्थिकी चोट, हड़ी ९२४८ कर्पूराद्युद्वर्तनम् ग्रीष्मोद्भव स्वेद उतरना तथा टूटना For Private And Personal Use Only

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