Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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भगन्दर]
परिशिष्ट (चि. १. प्र.)
(३३) भगन्दराधिकारः कराय-प्रकरणम्
मिश्र-प्रकरणम् ९५७१ खदिरादि का० भगन्दर । ९००३ अपामार्गादि क्षारः भगन्दर, अर्श, नाड़ीवण ९२७२ खदिरसारादि यो० भगन्दर, कुष्ठ
लेप-प्रकरणम् ९४२० कुष्ठादि लेपः भगन्दर
(३४) मदात्ययाधिकारः कषाय-प्रकरणम्
मिश्र-प्रकरणम् ९२३० कुष्माण्डरस यो० कोद्रव का मद ९२५२ कर्कन्ध्वादि
पानकम् पानविभ्रम, पानात्यय, रस-प्रकरणम्
तृषा, छर्दि, दाह ९४६६ कजली योगः मदात्यय
(३५) मसूरिकाविस्फोटकाधिकारः
लेप-प्रकरणम् । ९३११ करञ्जवीजादि विस्फोटक, दुष्ट वण ८८९६ अश्वगन्धादि मसूरिकाके रोगीको सुरक्षित रखता है
धूप-प्रकरणम् ९०८५ इन्द्रयवलेपः विस्फोटक
९१२२ उपगन्धादिधूपः प्रारम्भमें धूप देने से मसू९१२१ उशारादिलेपः मसूरिका, स्वेद
रिका नष्ट हो जाती है।
(३६) मिश्राधिकारः चूर्ण-प्रकरणम्
गुटिका-प्रकरणम् ८८१८ अलम्बुषादि चू० शरीरकी दुर्गन्ध ८८४० अमृतरसोनपिण्डः अस्थिकी चोट, हड़ी ९२४८ कर्पूराद्युद्वर्तनम् ग्रीष्मोद्भव स्वेद
उतरना तथा टूटना
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