Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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स्त्रीरोग]
परिशिष्ट (चि. प. प्र.)
६७५
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धूप-प्रकरणम्
| ९००१ अपामार्गपुन
नेवायोगों कष्टसाध्य योनि शूल ९४३१ कटुतुम्थ्यादि ५० अपरा पातक ९४३३ कस्तूरिकादि धू० योनिकी दुर्गन्ध नष्ट
(संरल योग) ९००४ अपामार्गादि यो० सुखप्रसवकारक होकर सुगन्ध आने |
९००९ अश्वगन्धाक्षीरम् वध्यन्च लगती है
९०९७ इक्ष्वाकु योगः ऋतु प्रवर्तक
९१३७ उत्तरिणीमूलयोगः सुख प्रसवकारक रस-प्रकरणम्
| ९५३५ कदलीफलयोगः रक्तप्रदरनाशक सभ्यो ९४८६ कामदुधा रसः प्रदरमें विशेष उपयोगी ९५४६ कशेर्वादिक्षीरम् गर्भशूल, गर्भपतन ९४८७ , , सोमरोग, जीर्ण ज्वर, ९५५० कालिकादियोगः सुख प्रसवकारक पित्तरोग
९५५३ कार्पासिकायो० योनिशूल ९५५६ किण्वाचावर्तिः वृद्धा स्त्रीका भी रुका
हुवा मासिक धर्म मिश्र-प्रकरणम्
खुल जाता है ८९९८ अजमूत्रादि यो० वन्ध्यत्वनाशक सन्यो० ९५६२ कुशादिक्षीरम् गर्भिणीका शूल
(५६) स्वरभेदाधिकारः चूर्ण-प्रकरणम्
घृत-प्रकरणम् ९०२८ मामलक्यादिचू० स्वरमंगनाशकस यो० ९.३० कासमर्दादि० वातजस्वरभंग
९३३१ " , पैत्तिक , भवोह-प्रकरणम्
रस-प्रकरणम् ९३१५ कुलिखनायोवलेहः घोर स्वरभंग, प्रति- ९५१० किन्नरकण्ठर० । समस्त स्वर मंग, कास, स्याय, कास, हिका
कफ और वातरोग नाशक, स्वरशोधक
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