Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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६७४
कषाय-प्रकरणम
८७८९ अमृतादिका ०
९१०१ उत्पलपत्रस्व
रसयोगः
८७८६ अपामार्गादिका० प्रसृताकी कमरका शोध
( सरल योग ) सूतिका रोग
९१४६ एलादिचू० ९२७४ कुरण्टमूलयो ९२७७ कुशमूलयो०
९२७८
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९२९४ कृष्णादि योग:
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भारत - मेषज्य रत्नाकरः
चूर्ण-प्रकरणम् ८८०५ अजमोदादि चू० गर्भिणीका अग्निमांद्य ९१६ उत्पलादियो० योनिशूल, कटिशूल, कुक्षिशूल, रक्तमूत्रता वातज तथा पित्तज प्रदर गर्भ संस्थापक
८८५१ अश्वगन्धा घृ०
९०७८ इक्ष्वाकुघृ०
(५५) स्त्रीरोगाधिकारः
स्त्रियोंका अस्थिस्राव,
सोमरोग (सरलयोग )
गर्भिणीका ज्वर अनेकविध प्रदर
९१४० एरण्डादि का० ९१८७ कर्यादि का०
९१९७ कपिकच्छूमू० यो० योनि संकोचक स०यो० ८८६४ अलाबु तै०
९२१० कसेर्वादिका० गर्भशूल, गर्भस्राव
घृत-प्रकरणम्
सर्वदोषज रक्त प्रदर प्रदरको ३ दिनमें नष्ट करता है । (स० यो० ) । मूढगर्भविकार, वेदना
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वन्ध्यत्व
स्त्रियोंका अस्थिस्राव, दाह, तृषा, रक्तपित्त
९३२७ काश्मर्यादि घृ० रक्तयोनि, अरजस्का यो अपुत्रादि
९३२८
रक्तप्रदर
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९३२९ काश्मर्यादि पृ० रक्तप्रदर
तैल-प्रकरणम्
८८६३ अलम्बुषार्थ तै० स्तनको दृढ़ और उन्नत
करता है |
९३४६ करवीराचं तै०
९३६१ कासीसाधं तै०
९३७४ कोशातकी ०
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[ खीरोग
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लेप-प्रकरणम्
९०८९ इन्द्रवारुण्यादि ० स्तन पीड़ा
९०९०
योनिदोष नाशक, गर्भ
संस्थापक
लोमनाशक
स्तन, भग, कर्ण और
बढ़ाता है समूल लोमनाशक
योनिशुलको शीघ्र नष्ट
करता है लोमनाशक
९३८३ कल्यादि ले० ९३८४ " ९४०९ कारवेल्ली जटायोगः योनिनिर्गम्
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९४१४ कुमारी मूलयो०
शिशु नष्ट होने पर स्तन में दूध भरकर पीड़ा होना
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