Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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वातव्याधि]
परिशिष्ट (चि. प. प्र.)
६६६
-
नस्य-प्रकरणम्
रस-प्रकरणम्
। ८९९२ अश्वगन्धापाकः पृष्ठ तथा अस्थि गत ९४५७ काकोदुम्बरि यो० अपबाहुक
वायु, अस्थिमंग, शोथ,
दारुण सन्धिवात -train
(४४) विद्रध्यधिकारः चूर्ण-प्रकरणम्
रस-प्रकरणम् ९२४२ करञ्जबीज यो० अन्तर्विद्रधि
९४६५ कम्जली योगः अन्तर्वाह्य विधि ९२९१ कृष्णाजाजीयो० कोष्ठविधि तैल-प्रकरणम्
९४७१ कनकसुन्दरो र० विद्रधि, उदरवृद्धि ९३४३ करखतै० वाह्य तथा अन्तर्विद्रधि | ९५०६ कासीसादि चू० अन्तर्विदधि शोथ
(४५) विरेचनाधिकारः रस-प्रकरणम्
मिश्र-प्रकरणम् ९०९३ इच्छाभेदी रसः विरेचक
९५४३ कर्णिकाररसयोगः जितनी काली मिर्च
अनुपान सपसे खाई ९०९४ , , ,
जावें उतने ही दस्त ९०९५ , , ,
आते हैं।
(४६) विषाधिकारः कषाय-प्रकरणम्
चूर्ण-प्रकरणम् ८७७९ अङ्कोटमूलयो० पागल कुत्तेको विष | ८८१७ अकेमूलादि यो० धत्तूरविष, कनेरका विष,
गोनास सर्पका विष ( सरल योग )
९२३३ कटभ्यादि यो० कीट विष,मकड़ीका विष ८७८० , " गरावष
९२५७ काकोदुम्बरयो० कुत्तेका विष (स०यो०) ९२३१ कृष्णादि का० कृत्रिम विष ९२८६ कुष्ठादियोगः मूषक विष
९२८९ कुसुम्भ योगः " "
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