Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 680
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६५८ भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [ज्वरातिसार मिश्र-प्रकरणम् | ९००२ अपामार्गमूल वन्धनम् हाथमें बांधनेसे विषम ८९९७ अजगंधादि ज्वर नष्ट होता है पानकम् सन्निपात, कास,श्वासको ९५४७ काकजङ्घामूलशीघ्र नष्ट करता है बन्धनम् तन्द्रा (२४) ज्वरातिसाराधिकारः कषाय-प्रकरणम मिश्र-प्रकरणम् ९१०३ उशीरादिक्वाथः ज्वरातिसार ९१०० ईसबगोलयोगः ज्वरातिसार रस-प्रकरणम् ९४७० कनकसुन्दर अग्निमांद्य (२५) दाहाधिकारः ८७८२ अजगन्धादियो० दाह, वायु (सरलयोग) | मिश्र-प्रकरणम् ९०६८ आर्द्रवस्त्रधारणम् अवलेह-प्रकरणम् ९०३५ आमलक्यादिख० दुर्जय दाह, मूर्छा. पुरानी छर्दि दाह (२६) धात्वादिशोधनमारणाधिकारः ८९२९ अग्निजार | ८९४९ अभ्रकमारणम् सिन्दूराम लाल भस्म ८९३८ से । अभ्रक दुतिः ८९५० , , , , ,२० ८९४२ तक ८९४५ अभ्रकभस्मामृतीकरणम् ८९५१ " " ८९४६ , , ८९५२ , , ____बिना पुट कढ़ाई में ८९४७ अभ्रकमारणम् २२ पुटी भस्म भस्म करनेको विधि ८९४८ " " | ८९५३ । " For Private And Personal Use Only

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