Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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ज्वर] परिशिष्ट (चि. प. प्र.)
_ ६५७ ९२७५ कुलत्थादि चू० वातप्रधान सन्निपातको ८५.१० अर्धनारीश्वर० ऊपरके समान
___ शोघ्र नष्ट करता है । ८९११ , ९२७६ कुलित्थ चू० प्रस्वेद
८९२३ उन्मादभनिनीवटी चातुर्थिक ज्वर
गुटिका-प्रकरणम्
नस्य-प्रकरणम् ९२९८ कम्पिल्लकाद्यो मो. ज्वर, तृषा, छर्दि, पित्त | ८९१७ अञ्जनरसः मूर्छा
८९२० अर्धनारीश्वर जिस ओरके नासामुटमें तैल-प्रकरणम्
नस्य दी जाय उसी ८८५४ अगुर्वादि तै० शीत ज्वर
ओरका घोर ज्वर अवश्य
उतर जाता है ९०८० इन्द्रयवार्यतै० ज्वर, प्रबल दाह ९३३८ कटुरोहिण्यादि ज्वर
| ९४६१ कुष्माण्डादिन० ज्वर
लेप-प्रकरणम्
रस-प्रकरणम् ९०८४ इङ्गुषादिलेपः कर्णमूल शोथ
८९२२ अग्निकुमारर० ज्वर, श्वास, कास, पाण्डु,
अग्निमांद्य ९३८१ कट्फलादि , ,
" " इंजेक्शन देनेसे सन्नि९३८६ कपित्थादिले. दाह. पीडा, मोह. छर्दि...
पातका मृत्प्रायः रोगी भी तृषा
बच जाता है ९३९९ करवीरादिले. पिपासा
९०५३ आनन्दभैरव सन्निपात,जीर्णज्वर, अङ्ग ९४१५ कुलस्थादिल. कर्णमूल शोध
मर्द, अतिसार
९०५५ आनन्दभैरवीव० अनेकविध सन्निपात अञ्जन-प्रकरणम्
९०९६ इच्छाभेदी वमन ज्वर, छर्दि ( वामक ) ८९.०३ अननभग्य सोपद्रव मन्निपात
९१२५ उदयमार्तड रसः ज्वर, आध्मान, अजीर्ण ८९.०४ अननगमः सर्वदापज वर, दाहादि | ९४८० काश्चनपोटली ज्वर, अतिसार अग्निमांद्य ८९.०८ अर्द्धनारीनटेश्व० जिस आंम्बमें अंजन किया ९४९९ कालकूटर० समस्त ज्वर, सन्निपात
जाय उसी ओरका ज्वर | ९.५३ खेचरी गुटिका समस्त स, गुल्म, उतर जाता है
उदर रोग ८९.०९. अर्धनारीश्वर ऊपरके समान
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