Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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६४४
भारत-भैषज्य रत्नाकरः
[ अतिसार
-
९२६९
,
(२) अतिसाराधिकारः कषाय-प्रकरणम्
| ९२६८ कुटजाटि चू० रक्तातिसार ८७९४ अरलुत्वक्पुटपाकः अतिसारमें उत्तम
आम और रक्त युक्त ८७९५ , , समस्त अतिसार
पित्तज ग्रहणी को शीघ्र ९०१३ आम्रत्वक् पु० पा० कफप्रधान रक्तातिसार
नष्ट करता है। ९०७० इन्द्रयवादि का० समस्त अति(सरलयोग)
९२७२ कुटजाचं चू० पित्तज तथा रक्तज अति९१८२ ऐरावतीपत्र यो० कफज रक्तातिसार
सार, गुदशल,प्रवाहिका ९२०७ कलिङ्गषट्कः आमातिसार, रक्ताति
९२८२ कुष्ठादि चू० कफातिसार (स०यो०) सार, शल
९२९० कृष्णमृदादि क० रक्तातिसार ९२१३ किराततिक्तादि काथः वेदनायुक्त पित्तातिसार
गुटिका-प्रकरणम् ९२२१ कुटजादि का० पित्तज कफज अतिसार ८८२९ अकोट वटक: हरप्रकारका भयंकर अति. ९२२२ , , अतिसारको शीघ्र नष्ट
८८३० ,, समस्त अतिसार करता है
८८३४ अभयाचा वट० अतिसार,पाण्डु,ज्वर, अर्श ९२२३ कुशमूलादि का० पित्तातिसार ९३०६ केशराजादि व० शल और रक्त युक्त आमा९२३२ केशराजादि का० आमशूलयुक्त अतिसार
तिसारको शीघ्र नष्ट
चूर्ण-प्रकरणम् ८८०२ अंकोटमूल क० अत्यन्त वेगवान अति- अक्छेह-प्रकरणम् __सार ( सरल योग)
| ९३११ कल्याणावलेहः कृमि जनित, अर्श जनित ८८०३ , , यो० अतिसार
और विरुद्ध अन्नपान ८८०९ अतिविषादि चू० पित्तातिसार
जनित अतिसार ९१०७ उदीच्यादि चू० अतिसार, तृपा, दाह,
| ९३१४ कुटजावलेहः भयंकर रक्तातिसार
आम, हिक्का (मग्ल) ९२४९ कलिंगादि चू० कफातिसार, रक्तानिमार ९२५० , , पित्तज तथा वातन्त्र
घृत-प्रकरणम्
| ९३३१ कुटजा वृ० समस्तातिसार ९२६५ किरातादि यो० • वेदनायुक्त पित्तातिसार
अतिसार
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