Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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बर्ग
पक्षमो भागा (चि. प. प्र.)
६४७
-
८८८९ अशोहर लेपः नाभि पर लेप करनेसे ।
रस-प्रकरणम् मस्से समूल नष्ट होतेहैं। ८९८७ अर्शः कुठारो समस्त अर्श ८८९० , , ऊपरके समान ८९८८ ,,, मस्सेको समूल नष्ट ८८९१
करता है ॥ " " "
| ८९८९ अर्शोहररसः अर्श ८८९२ , , अर्श ८८९३ , , १५ दिनमें मस्से समूल
मिश्र-प्रकरणम् नष्ट हो जाते हैं।
९००७ अर्शनाशकयोगः अर्श, गुदनिस्सरण ९४०६ काकोदुम्बरिका
९००८ अर्शोहरयोगः अर्शकी पीडा योगः मस्सोको शीघ्र नष्ट
| ९५३२ कटुतुम्ब्यादिवर्तिः अर्शको १ सप्ताह में करता है।
__ नष्ट करता है ९४१६ कुलीरशृङ्ग्यादि
९५३३ कट्वलाब्बाधा वतिः मस्सोको समूल नष्ट ७ दिनमें मस्से गिर
करता है। जाते हैं। ९५५७ किंशुकबीजयोगः अर्श को लाभ पहुंचाने
वाला स्वेद धूप-प्रकरणम्
९५५९ कुटजादिक्षीरम् रक्तार्श ९४३४ कुष्ठादिध्पः अर्शकी पीड़ा | ९५६६ कृष्णतिलयोगः अर्शनाशक पौष्टिक
लेपः
(८) अश्मरिशर्कराधिकारः
कषाय-प्रकरणम्
चूर्ण-प्रकरणम् ९२२४ कुशादि क्वाथः दुस्साध्य अश्मरि ९१४४ एरण्डादि कल्क: अश्मरि
९२४६ कर्कोटी मूलयो० पथरीको तोड़कर नि९२२५ , मूत्राश्मरि, वस्तिशूल
कालता है। (सन्यो०) ९२२७ कुष्माण्ड योगः वस्ति और मेढ़ की शूल- | ९२६७ कुटजकल्कः अश्मरिकोनिकाल देताहै
युक्त शर्करा ९२७० कुटजादियोगः मेदशर्कराको शीघ्र नष्ट ९२२८ कुष्माण्डरस योगः मूत्राघात, शर्करा,अश्म. |
करता है।
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