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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बर्ग पक्षमो भागा (चि. प. प्र.) ६४७ - ८८८९ अशोहर लेपः नाभि पर लेप करनेसे । रस-प्रकरणम् मस्से समूल नष्ट होतेहैं। ८९८७ अर्शः कुठारो समस्त अर्श ८८९० , , ऊपरके समान ८९८८ ,,, मस्सेको समूल नष्ट ८८९१ करता है ॥ " " " | ८९८९ अर्शोहररसः अर्श ८८९२ , , अर्श ८८९३ , , १५ दिनमें मस्से समूल मिश्र-प्रकरणम् नष्ट हो जाते हैं। ९००७ अर्शनाशकयोगः अर्श, गुदनिस्सरण ९४०६ काकोदुम्बरिका ९००८ अर्शोहरयोगः अर्शकी पीडा योगः मस्सोको शीघ्र नष्ट | ९५३२ कटुतुम्ब्यादिवर्तिः अर्शको १ सप्ताह में करता है। __ नष्ट करता है ९४१६ कुलीरशृङ्ग्यादि ९५३३ कट्वलाब्बाधा वतिः मस्सोको समूल नष्ट ७ दिनमें मस्से गिर करता है। जाते हैं। ९५५७ किंशुकबीजयोगः अर्श को लाभ पहुंचाने वाला स्वेद धूप-प्रकरणम् ९५५९ कुटजादिक्षीरम् रक्तार्श ९४३४ कुष्ठादिध्पः अर्शकी पीड़ा | ९५६६ कृष्णतिलयोगः अर्शनाशक पौष्टिक लेपः (८) अश्मरिशर्कराधिकारः कषाय-प्रकरणम् चूर्ण-प्रकरणम् ९२२४ कुशादि क्वाथः दुस्साध्य अश्मरि ९१४४ एरण्डादि कल्क: अश्मरि ९२४६ कर्कोटी मूलयो० पथरीको तोड़कर नि९२२५ , मूत्राश्मरि, वस्तिशूल कालता है। (सन्यो०) ९२२७ कुष्माण्ड योगः वस्ति और मेढ़ की शूल- | ९२६७ कुटजकल्कः अश्मरिकोनिकाल देताहै युक्त शर्करा ९२७० कुटजादियोगः मेदशर्कराको शीघ्र नष्ट ९२२८ कुष्माण्डरस योगः मूत्राघात, शर्करा,अश्म. | करता है। For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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