Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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कुष्ठ ]
परिशिष्ट (चि. प. प्र.)
६५१
करता है
(१५) कुष्ठवातरक्तरक्तविकाराधिकारः कषाय-प्रकरणम्
घृत-प्रकरणम् ८७९० अमृतादि का० वातरक्त, कुष्ठ, आम | ८८४२ अगस्तिपुष्प वृ० स्फुटित वातरक्त
( सरल योग) ९०३८ आमलक वृ० वातरक्त (सरल योग) ८७९३ , , सर्वशरीरगत वातरक्तको ९०३९ आरग्वधादि घृ० कुष्ठ
अवश्य नष्ट कर देता है ९५७७ खदिरादि धृ० समस्त कुष्ठ
सरलयोग ९०१५ आरग्वधादि का० कुष्ठ, विसर्प,दद्रु, विच
तैल-प्रकरणम् र्चिका को शीघ्र नष्ट
| ९०४४ आरम्वधादि तै० सिध्म, उदुम्बर कुष्ट
९०७९ इत्वाकु तै० खुजली, कुष्ठ, वायु, कफ ९५७० खदिरादिक० श्वेतकुष्ठमें अदभुत
९३४४ करवीरादि तै० पामा, खुजली गुणकारी
| ९३५१ कर्पूरादि तै० कुष्ठ
९३५६ कांजिकादि तै० वातरक्त चूर्ण-प्रकरणम्
९३५७ कारस्करादि तै० वातरक्त में अत्युत्तम ८८१४ अमृतादि क. कफज वातरक्त ९३५८ कार्यासादि तै० शिरका कुष्ठ ८८२० अवल्गुजादि चू० समस्त कुष्ठ (स यो०)। ९३६४ कुष्ठकालानल तै० मांसमेदोगत कुष्ठ, पु९०२५ आमलकादि ,, भयंकर गलित्कुष्टको
राना नाडीव्रण, स्वित्र, शीघ्र नष्ट करता है।
पामा ( सरल योग) । ९३६५ कुष्ठकालानल वातरक्त, दाद, खाज, ९२५८ काकोदुम्बर यो० रक्त कुष्ठ
खुजली, मकड़ीका विष ९२५९ काकोदुम्बरिकादि
९३६६ कुष्ठादि तैलम् कुष्ठनाशक उत्तम योगः श्वित्र ९२८० कुष्ठहर चूर्ण समस्त कुष्ठ ।
आसवारिष्ट-प्रकरणम् ९२८८ कुष्ठारि चू० भयंकर वातरक्त ९३७५ कनकबिन्द्वरिष्टम् महा कुष्ठको १ मासमें,
क्षुद्र कुष्ठ को १५ अवलेह-प्रकरणम्
दिनमें नष्ट करता है ९११६ उशबावलेहः कुष्ठ, फिरंग, रक्तदोष
कान्तिवर्द्धक
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