Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text ________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अतिसार)
परिशिष्ट (चि. प. प्र.)
६४५
लेप-प्रकरणम् | ९०५४ आनन्दभैरवी सन्निपातातिसार ९०४८ आम्रवल्कल
९४७२ कनकसुन्दरो वातातिसारमें अद्भुत् कल्कलेपः नदीवेगोपम भयंकर
गुण दिखलाता है। अतिसार
मिश्र-प्रकरणम् रस-प्रकरणम् ८९९४ अहिफेन वटि० प्रवृद्ध रक्तातिसार ९५६१ कुबेराक्षयोगः कफज रक्तातिसार, शल ८९९५ अहिफेनादि यो० अतिसारमें अत्यन्त प्र
को शीघ्र नष्ट करता है। भाव शाली
(३) अपस्मारोन्मादाधिकारः गुटिका-प्रकरणम्
रस-प्रकरणम् ९३०३ कितव वटिका उन्मादको शीघ्र नष्टकरती ८९३४ अपस्मार नाशन है। ( सरल योग)
अपस्मार
८९३५ अपस्मारारि रसः , अमन-प्रकरणम्
९१२९ उन्मादकुठार रसः उन्माद ९१२३ उन्मादभञ्जनी वटी अपस्मार, उन्माद । | ९१३० उन्मादध्वंसी रसः । ९४३८ कपित्यादि वर्तिः " " | ९१३१ उन्मादपर्पटी रसः ।
-
(४) अम्लपित्ताधिकारः कषाय-प्रकरणम्
रस-प्रकरणम् ८७८७ अभयादि क्वाथः अम्लपित्त, कण्ठदाह । ८९४३ अभ्रकभस्म यो० अम्लपित्त, शल, वमन ८७९१ अमृतादि , प्रबल अम्लपित्तको शीघ्र ९५२४ कुष्माण्डखण्ड० अम्लपित्त
नष्ट करता है।
For Private And Personal Use Only
Loading... Page Navigation 1 ... 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700