Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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गुटिकापकरणम् ]
परिशिष्ट
जोरा, पीपलामूल, बेर, पोपल, हरं, चीता, है इनके सेवनसे उन्माद रोग शीघ्र ही नष्ट सोंठ और छोटी इलायची का चर्ण१०-१० तोले: हो जाता है। सेंधा नमक का चूर्ण ५ तोले और शुद्ध भिलावे ।
(मात्रा----रत्ती । ) ५०० नग एवं सबसे दो गुना पुराना शूरण (९३०४) कुष्ठाद्या वटिका ( जिमिकन्द ) लेकर सबको एकत्र कूट लें और
(रा. मा. । मुखा. ५) फिर उसमें सब के बराबर गुड मिलाकर ११-१॥ गदकुवलयजातीकोशजातीफलत्वतोलेके मोदक बना लें।
विरचितगुलिकाभिर्वक्त्रमध्ये धृताभिः । इनके सेवनसे अर्श, क्षय, अग्निमांद्य, भ्रम, व्रजति झदिति नाशं पूतिरास्यस्य गन्धः द्रोग, पाण्डु, शूल, आनाह, भगन्दर और उदावर्त । सविधगतनितान्तोद्वेजिताशेषलोकः ॥ का नाश होता है। यह पौष्टिक और कान्तिवद्धक है। कूठ, सफेद कमल, जावित्री, जायफल और इसका आविष्कार कांकायन मुनिने किया था।
दालचीनी समान भाग लेकर पानीमें (या गोंद के
पानी में ) घोट कर गोलियां बना लें। कामकलादिवटी
इनमें से १-१ गोली मुंहमें रखने से मुखकी (र. र. । वातरक्ता.) रस प्रकरण में देखिये।
| दुर्गध नष्ट होती है। कामेश्वरमोदकः (महाकामेश्वरपाक:) .
(१३०५) कृष्णाचा गुटिका
(ग. नि. । गुटिका. ४ ; मूर्छा. १६) (यो. र. वाजी. ; नपु. म. । त. ४) प्र. सं. ५५३३ "महाकामेश्वरः" देखिये !
कृष्णाशताहाशुण्ठीनामभयानां पलं पलम् ।
गुइस्य षट्पलान्येपण गुटिका भ्रमनाशिनी ॥ कामेश्वरीवतिका
___ पीपल, सोया, सोंठ और हर्र का चूर्ण ५-५ (र. का. धे । पा
तोले तथा गुड़ ३० तोले लेकर (९-९ माशे की) रस प्रकरणमें देखिये।
गोलियां बना लें। (९३०३) फितववादि
इन्हें संवन करने में भ्रम का नाश होता है। (२. सं. क. । र,
९.३०६) केशराजादिवटी मसेन पत्रेण फलेन वाऽपि
(व. से. । अतिसारा.) ____ व्योषान्विता या कितवोद्भवेन । केशराजसमुद्भूता जलेन गुटिका कृता। पद्धा गटी सा सहसैव हन्ति
जयेत्साममतीसारं सशूलं सास्रमाशु च ।। 'पारदोषत्रयदुधवातात् ।।
भंगरे के स्वरस को पकाकर गाढ़ा करें और धतूरे की जड़, या पते अथवा फत्र और । (१-१ साशे की ) गोलियां बना लें। सोंठ, मिर्च, पीपल समान भाग लेकर सबको (पानीके के सेवनसे शूल और रक्तयुक्त आमातिसार माथ) खरल करके गोलियां बनावें । । शीघ्र ही नष्ट जाता है।
इति ककारादि काप्रकरणम्
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