Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५८२
-
-
-
भारत-भैषज्य रत्नाकरः
[ककारादि में पीसकर लेप करसे या अरण्डके तरुण वृक्षकी । (९४२२) कुष्ठादिलेपः (४) जड़को कांजीमें ८ सकर लेप करनेसे शिरपीड़ा
(यो. र. । शीतपित्ता.) नष्ट हो जाती है ।
ससैन्धन कुष्ठेन सर्पिषा लेपमाचरेत् । (९४२०) कुष्ठादिलेपः (२)
। सुरसास्वरसैर्वाऽय लेपयेत्परमौषधम् ॥ (ग. नि. । भगन्दरा. ७)
___ कूट और सेंधा नमकके समान भाग मिलित
| चूर्णको घीमें मिलाकर लेप करनेसे या तुलसीके कुष्ठं फलत्रितयकाश्चनपुष्करत्वङ्
बरसका लेप करनेसे शीतपित्त ( पित्ती रोग ) नष्ट मुस्तावचात्रिकटुकातिविषाजमोदाः।
हो जाता है । यह इस रोगकी परमौषध है। गोमूत्रमिश्रितमिदं सकलं गुडेन
(९४२३) कुष्ठादिलेपः (५) कुर्याद्भगन्दरविकारयुतः प्रलेपम् ॥ ।
(रा. मा. ;ग. नि. । शिरोरोगा. ;व. से. । क्षुद्ररो. ) कूठ, हर्र, बहेड़ा, आमला, हरताल, पोहकर
तैलेन मृत्कर्परभृष्टकुष्ठमूल, दालचीनी, नागरमोथा, बच, सेठ, मिर्च, पीपल, अतीस, अजमोद और गुड़ समान भाग
____चूर्णान्वितेन प्रविलिप्तमूनः । लेकर गोमूत्रमें बारीक पीसकर लेप करनेसे भगन्दरमें
कण्डूश्च दाहश्च विनाशमेति
शिरोवणं शुष्यति रूषिका च ॥ लाभ होता है।
कुठके चूर्णको मिट्टीके ठीकरेमें डालकर मन्दाग्नि (९४२१) कुष्ठादिलेपा (३) पर भून कर तेलमें मिला लें। इसे शिरमें लगानेसे
(व. से. । विसर्पा.) शिर की खाज, दाह और अरुषिका का नाश होता कुष्ठं शताहा सुरदारुमुस्ता
तथा शिरोबण सूख जाते हैं। __वाराहिकुस्तुम्बुरुकृष्णगन्धाः।
(९४२४) कृष्णतिलादिलेपः वातेऽर्कवंशार्तगलाश्च योज्याः
(रा. मा.। मुखरोगा. ५) सेके प्रलेपेषु तथा घृतेषु ॥ कृष्णैस्तिलैरसितजीरकज़ीरकाभ्यां कूठ, सोया, देवदारु, नागरमोथा, बाराही |
सिद्धार्थकैश्च विहितैर्ममृणमपिष्टः । कन्द, कुस्तुम्बरु, सहजनेकी जड़की छाल, आककी
दुग्धान्वितो वदनचन्द्रमसः प्रलेपो जड़, बांस और पियाबांसा समान भाग लेकर ___व्यङ्गं विलुम्पति मुहुः परिशील्यमानः ।। बारीक पीस कर लेप करनेसे अथवा इन ओषधियों काले तिल, काला जीरा, सफेद जीरा और के क्वाथ का तरैडा देनेसे या इनके कल्क और सफेद सरसे समान भाग लेकर दूधके साथ बारीक क्वाथके साथ सिद्ध घृत लगानेसे वातज विसर्पमें | पीस कर मुख पर लेप करनेसे कुछ दिनों में व्यङ्ग लाभ होता है।
( चेहरेकी झाई ) का नाश हो जाता है ।
For Private And Personal Use Only