Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
५६२
[ ककारादि
पारे गंधककी कज्जली को आमलेके रस की भावना देकर सुखाकर उसमें खांड मिला कर सेवन करनेसे मदात्यय रोग नष्ट हो जाता है । ( मात्रा - २ रत्ती । ) (९४६७) कज्जलीयोग: (३) (र. च. 1 उपदंशा . )
X
X
X
कंकुष्ठ सत्वमय होता है अत एव उसका सत्व कर्षमात्रं रसं शुद्धं द्विकर्ष गन्धकं स्मृतम् । विधिवत्कज्जलीं कृत्वा तच्च गोघृतसंयुतम || माषमात्रं प्रतिदिनं दद्यादेवं त्रिसप्तकम् । गोधूमान्नं घृतं पथ्यं कारयेल्लवणं विना ।। उपदंशापहः श्रेष्ठो योगो मुनिभिरीरितः ।
शुद्ध पारा ? | तोला तथा शुद्ध गंधक २ || तोले ले कर कज्जली बनावें ।
इसे १ | माशेकी मात्रानुसार गोघृतके साथ सेवन करने से ३ सप्ताहमें उपदंश नष्ट हो जाता है । उपदंश के लिये यह एक उत्तम योग है । पथ्य — गेहूं की रोटी और घी । अपथ्य - लवण |
1
www.kobatirth.org
भारत - भैषज्य रत्नाकरः
होती है । यह गुदपीड़ा, गुल्म, व्रण और शूलको
नष्ट करता है ।
शुद्ध हो जाता है ।
X
X
कंकुष्ठको सोंठके क्वाथकी भावना देने से वह
नहीं निकाला जाता ।
इसे १ जौके बराबर पानके साथ खिलाने से विरेचन होकर आमज्वर तुरन्त नष्ट हो जाता है ।
X
X
X
बबूर (कीकर) की जड़ के क्वाथमें सुहागेकी खील और जीरे का चूर्ण मिलाकर पिलानेसे (अन्यथा प्रयुक्त) कंकुष्ठका विष नष्ट हो जाता है।
1
(९४६५) कज्जलीयोग: ( १ )
( वृ, यो त । त. ११० ; भै. र. ) वरुणादिकषायेण रसगन्धककज्जली । क्ता निहन्ति माका बाह्यमन्तश्च विद्रधिम् ||
---
पारे गन्धककी कज्जली वरुणादि गणके कषायके साथ सेवन करनेसे बाह्य विद्रधि तथा अन्तर्विद्रधि नष्ट हो जाती है ।
मात्रा- १। माशा ( व्यवहा. मा. २ रत्ती । ) ( ९४६६) कज्जलीयोगः (२)
( र. च.; यो. र. । मदात्यया . ) धात्रीस्वरसनिपीता रसगन्धककज्जली सितासहिता । हरति मदात्ययरोगमाशु गरुत्मानिवोरगान्सहसा |
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( व्यवहा. मा. ३ रत्ती | ) (९४६८) कज्जलीरसायनम् ( र. र. स. 1 उ. अ. २६ ) रसगन्धकमध्वाज्यशिलाजत्वम्लवेतसम् । द्विमापमितं वेगान्मासमात्राज्जरां जयेत् ॥
१ - १ भाग शुद्ध पारद और गंधककी कज्जलो बना कर उसमें १-१ भाग शहद, घी, शिलाजीत और अम्लवेतका चूर्ण मिला कर अच्छी तरह खरल करें ।
इसे २ माशे की मात्रानुसार सेवन करने से एक मास में जरा ( वृद्धावस्था ) का नाश हो जाता है।
For Private And Personal Use Only