Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 650
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कायप्रकरणम् ] (९५७० ) खदिरादिकषायम् (व. से. । कुष्ठा. ; यो. र. । कुष्ठा. ) खदिरामलककषायं बाकुचिबीजान्वितं पिवे अथ खकारादिकषायप्रकरणम् www.kobatirth.org उत्तमं खदिरसाररजः परिशिष्ट (९५७२) खदिरसारादियोगः ( ग. नि. | भगन्दरा ) ख कुन्दवलं व हन्तीह तच्चित्रम् ॥ खैरसार और आमलेके क्वाथमें बाबचीके बीजका चूर्ण मिलाकर पीने से शंख और चन्द्रमा या कुन्दके फूर्लोके समान सफेद श्वित्र (सफेद कुष्ठ) भी नष्ट हो जाता है। यह एक अद्भुत प्रयोग है । । भगन्दर नष्ट हो जाता है । इति खकारादिकषायमकरणम् (९५७१) खदिरादिक्वाथः 1 ( यो. र. । भगन्दरा. ; शा. सं. । खं. २ अ. २ ) नित्यम् । खदिरत्रिफलाक्वाथो महिषीघृतसंयुतः । विडङ्गचूर्णयुक्तश्च भगन्दरविनाशनः ॥ शीलयनसनवारिभावितम् । इन्ति तुल्यमहिषाक्षमाक्षिकं मेपिटिकाभगन्दरान् || अथ खकारादिचूर्णप्रकरणम् खैरसार और त्रिफला क्वाथमें भैंसका घी और बायबिडंग का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इति वकारादिचूर्णमकरणम् ६३१ उत्तम खैरसार के चूर्ण को असनावृक्ष की छालके क्वाथकी ( ३ या ७ या २१ ) भावना देकर उसमें शुद्र गूगल मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से कुछ, प्रमेह, पिटिका और भगन्दरका नाश होता है । 00 For Private And Personal Use Only

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