Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[ककारादि
(९३८८) कपोतवङ्कादियोगः पत्तोंको पीसकर लेप करनेसे ब्रणके कृमि नष्ट ( ग. नि. । कुष्टा. ३६)
हो जाते हैं। कपोतवङ्का लशुनस्य शीर्ष
(९३९१) करञ्जबीजादिलेपः ससैन्धवं चित्रकमूलमिश्रम् ।
( ग. नि. । विस्फोटा. ४०) तदश्वलिण्डस्य रसेन पिष्टं
करअतरुवीजानि युक्तानि तिलसर्षपैः । वणे प्रलेपो जननो हि रोम्णाम् ॥ एरण्डफलयुक्ता वा दुग्धका स्फोटनाशिनी ॥
करञ्ज ( कले ) के बीज, तिल और सरसों ब्राह्मी, ल्हसन का शिर ( ऊपर का भाग ),
समान भाग लेकर पीस कर लेप करनेसे या दुद्धी सेंधा नमक और चीतामूल समान भाग लेकर
और अण्डीके बीजोंको एकत्र पीसकर लेप करनेसे चूर्ण बनावें।
विस्फोटक का नाश होता है। इसे घोड़ेकी लीदके रसमें पीसकर लेप करने
(रा. मा. में प्रथम लेपको दुष्ट पिडिका से ब्रणके स्थान पर बाल निकल आते हैं। नाशक लिखा है।) (९३८९) करञ्जललेपः
(९३९२) करादिलेपः ( यो. र. । कुरण्डरोगा.)
(ग. नि. । ऊरुस्त. २१) तण्डुलवारिविमिश्र घृतपुरसझं यदुच्यते लोक करतः सरसा बिल्यो देवदासर्वचाऽर्जक। तन्मलपिष्टलेपं कुरण्डगलगण्डयोः कुर्यात् ॥ तर्कारीमेएशृङ्गी च शोभाअनकमिङ्गुदी ।। करञ्ज (कले ) को जड़ को चावलों के
उभे बृहत्यौ श्योनाकः श्वदंष्ट्रा खदिरासनौ । धोवनके साथ पीसकर लेप करनेसे कुरण्ड और जलपिरिमैस्तुल्यैः कषायः परिषेचनम् ॥ गलगण्ड रोग नष्ट होता है।
एतैरेवौपधैस्तुल्यैः क्षीरपिष्टैः प्रलेपयेत् । (९३९०) करञ्जयोगः
अनेन विधिना क्षिप्रमुरुस्तम्भः प्रशाम्यति ॥ (व. से. । व्रणा. ; शा. सं. । ख. ३ अ.
करन ( कलेकी छाल ), तुलसी, बेलछाल, ११; यो. र. । व्रगा. ; भा. प्र. । म. देवदारु, बच, अर्जक ( छोटे पत्ते वाली तुलसी ), ख. २ व्रणा.)
अरणी, मेढासिगी, सहं जनेकी छाल, हिंगोट, छोटी
और बडी कटेली, अरलुकी छाल, गोखरू, खरसार करआरिष्टनिर्गुण्डोलेपो हन्यावणकृमीन् ।
और असना वृक्षका सार समान भाग लेकर दूधके लशुनस्याथवा लेपो हिङ्गुनिम्बभवोऽथवा ॥
साथ बारीक पीस लें। इसका लेप करनेसे और करञ्ज, नीम और संभालु (के पत्तों )का लेप इन्हीं ओषधियोंके क्वाथका अवसेचन करने (तरैडा करनेसे अथवा ल्हसन को या हींग और नीमके देने) से ऊरुस्तम्भ में लाभ होता है ।
For Private And Personal Use Only