Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[ककारादि
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१० तोले " काकोल्यादि गण " का क्वाथ (९३२६) कारस्करघृतम् मिला कर पानी जलने तक पकायें और फिर छान लें। (वै. म. र. । पट. ११)
इसे दूधमें मिलाकर बालकको पिलाना चाहिये। कारस्करास्थिनियंहे तत्करकेन हविः भृतम् ।
( यह धृत स्कन्दापस्मार में उपयोगी है। गव्यं वा माहिषं प्रात्नं लिप्त हन्ति विपादि मात्रा १ से ३ माशे तक ।) (९३२५) काजीषट्पलघृतम्
___ कुचलेके क्वाथ और कल्कसे सिद्ध गाय या ( भा. प्र. म. सं. २ ; व. से. । आमवाता. ;
भैंसका पुराना घी लगाने से विपादिका ( बिवाई )
का नाश होता है। वृ. यो. त. । त. ९३ ; वृ. मा. ; धन्व. ;
(कुचला २ सेर, पानी १६ सेर, पकाकर च. द. । आमवाता.)
| ४ सेर शेष रखें। घी १ सेर, कुचलेका कल्क हिज त्रिकटुकं चव्यं माणिमन्थं तथैव च । १० तोले ।) फरकान्कृत्वा तु पलिकान्घृतपस्थं विपाचयेत् ॥ (९३२७) काश्मर्यादिघतम् भारनालाढकं दया तत्सर्जिठरापहम् ।
(व. से. । स्त्रीरोगा.) शूलं विवन्धमानाहमामवातकटिग्रहम् ॥ काश्मरीकटमक्याचे सिद्धमुत्तरवस्तिना । माशयेद् ग्रहणीदोष मन्दाग्नेर्दीपनं परम् ॥ रक्तयोन्यरजस्का याऽपुत्रा तासां हितं घृतम् ।।
हींग, सोंठ, मिर्च, पीपल, चव्य और संधा खम्भारीकी छाल और कुड़की छाल १-१ नमक; इनका चूर्ण ५-५ सोले लेकर पानीके साथ सेर लेकर दोनोंको एकत्र कूटकर १६ सेर पानीमें पीसकर कल्क बनावें ।
पकावें और ४ सेर रहने पर छान लें । इस क्वाथ ____२ सेर घी में यह कल्क और ८ सेर आरनाल
में १ सेर घी मिलाकर पकावें । (काजी) मिला कर काजी जलने तक पकावे और इसकी उत्तर वस्ति रक्तयोनि, अरजस्का योनि फिर न लें।
और अपुत्रा योनि में उपयोगी है। यह घृत उदररोग, शूल, विबन्ध, अफारा, (९३२८) काश्मर्यादितम् (२) आमवात, कटिग्रह और ग्रहणीदोषको नष्ट तथा । (व. से. । खोरोगा.) अग्मिको दीप्त करता है।
काश्मय॑ वटशृङ्गानि पृथग्दन्त्यास्तथैव च । (मात्रा-१ से २ तोले तक ।)
घृतं सिद्धं भवेच्छेष्ठं शोणितपदरे पिबेत् ॥
खम्भारी की कोंपल, बड़के अंकुर और दन्तीमूल; १काकोल्यादिगण-काकोली, क्षीरकाकोली, |
| पृथक् पृथक् ( या सम्मिलित ) इन ओषधियों के जीवक, ऋषभक, मुद्गपणी, माषपर्णी, मेदा, महा |
कल्क और क्याथ से सिद्ध घृत पीनेसे रक्तप्रदर मैदा, गिलोय, काकड़ासिंगी, बंसलोचन, पाख, नष्ट होता है। पुण्डरिया, ऋद्धि, वृद्धि, मुनक्का, जीवन्ती, मुलैठी। (मात्रा-१ से २ तोले तक।)
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