Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(३५०)
भारत-भैषज्य रत्नाकर
सुरादीना लक्षणानि "वक्कस" और सुराबीजका नाम 'किण्य' है। सुरामण्डः प्रसन्ना स्यात्ततः कादम्बरी धना ।
| ताल और खजूरके रसले बनी हुई सुराको तदधो जगलो 'ज्ञेयो मेदको जगलाद् घनः ॥
"वारुणी" कहते हैं। षकसो हरसारः स्यात्सुराबीजञ्च किण्वकम् । यत्तालखजूररसैरावृता सैव वारुणी ॥
तक्रम् सुरके सबसे ऊपर वाले स्वच्छ भागका तक युवश्चिन्मथितं पादाम्लोम्बुनिर्जलम् । नाम 'प्रसन्ना' है। उससे नीचे के कुछ गाढ़े। यदि वही में चौथाई भाग पानी डालकर भागका "कादम्बरी" कहते हैं।
मथा जाय तो "तक" आधा पानी डालकर कादम्बरीसे गाढ़े भागको 'जगल' और मथा जाय तो 'उदश्चित्' और बिना पानी उससे गाढ़े भाग को 'मेदक' कहते हैं। डालेही दहीको मथ लिया जाय तो 'मथित'
सुराके सारहीन भाग (फोक) का नाम 'तैयार होता है।
For Private And Personal Use Only