Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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भारत - भैषज्य रत्नाकरः
इलायची, शिलाजीत, पीपल और पाषाणभेद समान भाग लेकर चूर्ण बनावें ।
(९१४८) एलादिचूर्णम् (३)
(९१५०) एलादिचूर्णम् (५)
( हा. सं । स्था. ३ अ. १४ )
तण्डुलजलेन पीतं प्रमेहरोगं हरत्येव ||
( हा. सं. । स्था. ३ अ. ३२ ) एला शिलाजतुयुतं मागधिपाषाणभेदजं चूर्णम् । एलातमालदलनागरवालकौ द्वौ कृष्णा च भागिंसुरसागुरुचन्दनानि । चूर्ण सिताधिकमिदं पि शीततोयैः श्वास तमकमेव निहन्ति चाशु ||
इलायची, तमालपत्र ( तेजपात ), सोंठ, सुगंधबाला, खस, पीपल, भरंगी, तुलसी, अगर, चन्दन, और खांड समान भाग लेकर चूर्ण बनावें ।
इसे शीतल जल के साथ सेवन करने से ऊ श्वास और तमक श्वास शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। ( मात्रा - २ - ३ माशा । ) (९१५१) एलादि चूर्णम् ( ६ ) ( यो. र. । हृद्रोगा. )
सूक्ष्मैला मागधीमूलं पटोलं सर्पिषा सह । नाशयेदाशु हृद्रोगं कफजं सपरिग्रहम ||
छोटी इलायची, पीपलामूल और पटोल समान भाग लेकर चूर्ण बनावें ।
इसे के साथ सेवन करनेसे उपद्रव सहित कफज हृद्रोग नष्ट होता है ।
( मात्रा - २ - ३ माशे । )
इसे चावलों के धोवनके साथ सेवन करने से प्रमेह अवश्य नष्ट हो जाता है ।
(९१४९) एलादिचूर्णम् (8) ( वैद्या. | विषय २८ ) एलामांसिलवङ्गनागरकणामुस्ताहिमं धान्य कं खर्जुरं च तमालपत्रं मधुकोशीरद्वयं दाडिमम् । हिका कामलपाण्डुरोगनिचयं मूत्रे च दाहोष्मतां मेहान्विशतिं नाशयेच्च सततं मीतिप्रदं बृंहणम् ||
इलायची, जटामांसी, लौंग, सोंठ, पीपल, नागरमोथा, लाल चन्दन, धनिया, खजूर, तमालपत्र, मुलैठी, दो प्रकारकी खस और अनारदाना समान भाग लेकर चूर्ण बनावें ।
यह चूर्ण, हिचकी कामला, पाण्डु, मूत्रकी दाह और प्रमेहको नष्ट करता है । यह बृंहण भी है।
इति एकारादिचूर्णमकरणम्
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[ एकारादि