Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[ककारादि
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(९१८९) कटुकादिक्वाथः (२) इसमें ( १ माशा ) पोपलका चूर्ण मिलाकर
( ग. नि. । ज्वरा. १) | पीनेसे शूल और कफवर नष्ट होता है । कटुकाविजयाद्राक्षामुस्तपर्पटकैः शृतः। (९१९३) कण्टकार्यादिक्वाथः (१) कपायो नाशयेत्पीतः पित्तश्लेष्मभवं ज्वरम् ॥ (व. से. | कासा, ; भा. प्र. म. खं. २)
कुटकी, भांग, मुनक्का, नागरमोथा और पित्त कण्टकारीकृतः काथः सकृष्णः सर्वकासहा । पापड़ा समान भाग लेकर क्वाथ बनावें।
कण्टकार्याः कणायाश्च यह क्वाथ पित्तकफज ज्वरको नष्ट करता है। चूर्ण मधुयुतं लिहेत् ॥ (९१९०) कटुकादिक्वाथः (३)
कटेलीके क्वाथमें पीपलका चूर्ण मिला कर (वै. जी, 1 विलास १)
| पीनेसे या कटेली और पीपलके समान भाग मिलित मम द्वयं विस्मयमातनोति
चूर्णको शहदमें मिलाकर चाटनेसे हर प्रकारकी
खांसी नष्ट हो जाती है। तिक्ताकषायो मुखतिक्तताघ्नः । निपिडितोरोजसरोजकोषा
(९१९४) कण्टकार्यादिक्वाथः (२) योषा प्रमुदं प्रचुरं प्रयाति ॥
( यो. र. | शूला. ; वृ. यो. त. । त. ९४ )
| निदिग्धिकाबृहत्यौ च कुशकाशेक्षुबालिकाः । कुटकीका क्वाथ मुखकी तिक्तताको नष्ट करता
श्वदंष्ट्ररण्डमूलं च वारिणा सह पाचयेत् ॥ है । यह एक विचित्र बात है।
पिबेत्सशर्करक्षौद्रं शूले पित्तानिलात्मके ॥ (९१९१) कटुत्रिकादिक्वाथः
कटेली, बड़ी कटेली, कुश (दाभ) की जड़, (ग. नि. । ज्वरा. १) कासकी जड़, ईखकी जड़, सुगन्धबाला, गोखरु कटुत्रिकं नागपुष्पं हरिद्रा कटुरोहिणी। और अरण्डमूल समान भाग लेकर क्वाथ बनावें । कौटजं च फलं हन्यात्सेव्यमानं कफज्वरम् ॥ इसमें शहद और खांड मिलाकर सेवन करने
सोंठ, मिर्च, पोपल, नागकेसर, हल्दी, कुटकी : से पित्तवातज शूल नष्ट होता है। और इन्द्रजौ समान भाग लेकर क्वाथ बनावें। (९१९५) कण्टकार्यादियोगः इसे पीनेसे कफचर नष्ट होता है।
(वै. र. । कासा.) (९१९२) कटुरोहिण्यादिक्वाथः लघुभृष्टकण्टकारीस्वरसं चपलारजोमिश्रम् । (ग. नि. । ज्वरा. १) । यः पिबति तस्य कासाः सश्वासा नाशमुप
यान्ति ॥ कटुकरोहिणिकारग्वधविश्वाग्निकपिप्पलीमूलम् ।
छोटी कटेली को पुटपाक विधिसे पकाकर शूलकफज्वरहारी क्वाथोऽयं पिप्पलीमिश्रः ।।
कुटकी, अमलतासको गूदा, सोंठ, चीता और कास श्वासका नाश होता है। पीपलामूल समान भाग लेकर क्वाथ बनावें । (मात्रा-रस १ तोला, पीपल १ माशा 1)
स्वरस
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